नई दिल्ली। आप सभी को ज्ञात ही होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी  राजनीति में बहुत सक्रिय हुआ करते थे।

यही कारण था कि इंदिरा गांधी भी संजय के जरिये अपनी राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाने का सपना देखती थीं।

इंदिरा गांधी इमरजेंसी के बाद चुनाव हार गई थीं, लेकिन एक बार फिर वह सत्ता हासिल करने में कामयाम तो हो गई थीं, लेकिन दुर्भाग्य से उनके सत्ता में वापस आने के पांच महीने बाद ही संजय की सफदरजंग हवाई अड्डे के पास प्लेन दुर्घटना में मौत हो गई थी।

लेकिन क्या आप जानते है कि संजय की मौत के समय उनकी पत्नी मेनका गांधी  मात्र 23 साल की थीं। संजय की मौत के बाद मेनका के संघर्ष के दिन शुरू हुए थे।

मेंका ने ससुराल छोड़ दिया था और ससुराल छोड़कर जाने के बाद मेनका की जिंदगी में बहुत सी बाधाएं सामने खड़ी थीं।

मेनका ने एक इंटरव्यू में पति के मौत के बाद के संघर्ष को बयां किया था। आइए जाने उनके संघर्ष की कहानी-

  • 23 जून 1980 में संजय गांधी को विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई।
  • संजय की मौत के बाद उन्हें ससुराल छोड़ने पर मजबूर किया गया था।
  • मेनका ने बताया था कि वह बहुत साधारण परिवार से आती थीं, ऐसे में उनके पास सबसे पहले अपने जीवन-यापन को लेकर संघर्ष करना था। उस वक्त वरुण गांधी मात्र तीन महीने के थे।
  • मेनका ने बताया कि संजय का ट्रक ट्रांसपोर्ट का बिजनेस था और उनके पास 25 ट्रक हुआ करते थे।
  • धीरे-धीरे मेनका ने सभी ट्रकों को अपने जीवन यापन के लिए बेच दिए थे।
  • मेनका ने बताया था कि वह किराए पर एक कमरे के मकान में रही थीं और वरुण ने हमेशा यही जाना था कि वह एक गरीब परिवार में जन्मा है।
  • मेनका ने बताया कि उनको उम्मीद थी कि कभी उनकी सास इंदिरा गांधी उन्हें वापस लेकर ससुराल जांएगी, लेकिन ये उम्मीद भी 1984 में तब टूट गई जब इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी।
  • बता दें कि इसके बाद मेनका ने खुद संघर्ष किया और बीजेपी ज्वाइन की। साथ ही वह किताबें भी लिखने लगी थीं।
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