रायबरेली। रिश्ते को शर्मसार करने वाली एक घटना जिला अस्पताल में देखने को मिली, जब पिता की मौत के बाद एकलौता बेटा शव छोड़कर भाग गया। बाद में जानकारी मिलने पर 10 घंटे बाद बेटी आई, लेकिन मजबूरी ऐसी कि उसके पास कफ़न तक के पैसे नहीं थे। अंत में अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के सहयोग से अंतिम संस्कार का इंतजाम हो सका।
दरअसल, उन्नाव निवासी विजय पाल कुछ दिन पहले ही जिला अस्पताल रायबरेली में एडमिट हुआ था। हालात बिगड़ने पर उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां शनिवार को उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई,जैसे ही इसकी जानकारी मृतक के एकलौते बेटे को हुई, वह शव को छोड़कर भाग निकला। काफ़ी मशक्कत के बाद जब बेटे का पता नहीं चला तो शव को मर्चुरी में रखवाया गया। हालांकि जानकारी मिलने पर 10 घंटे बाद उसकी बेटी व दमाद जिला अस्पताल पहुंचे पर उनके पास न तो शव को ले जाने के लिए वाहन के पैसे थे और न ही अंतिम संस्कार के।
यह बात जैसे ही इमर्जेनसी में तैनात डॉक्टर नवीन शर्मा को पता चली तो उन्होंने न सिर्फ अपने पास से बल्कि पूरे स्टाफ से चंदा इकट्ठा करवा कर मृतक की बेटी को रुपये दिए ताकि शव का अंतिम संस्कार कर सके। शव वाहन की भी व्यवस्था जिला अस्पताल के द्वारा करवाई गई।
डॉक्टर नवीन शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह हम सबका फ़र्ज़ है और लोगो ने पूरे स्टाफ से चंदा इकट्ठा कर मृतक की बेटी को उपलब्ध करवाया है ताकि शव का अंतिम संस्कार किया जा सके।