-25 राज्यों से आए किसान संगठन के नेताओं ने साझा संघर्ष विकसित करने का लिया संकल्प
नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन शनिवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के मावलंकर हॉल में सम्पन्न हुआ। इसमें 25 राज्यों से आए किसान संगठन के नेताओं ने साझा संघर्ष विकसित करने का संकल्प लिया। अधिवेशन में करीब 800 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान संवाददाता सम्मेलन में एआईकेएससीसी ने सरकार की किसान विरोधी नीतियों और केन्द्र व राज्यों द्वारा समस्यों के हल के लिए कुछ नहीं करने के खिलाफ देशभर में आठ जनवरी को ‘ग्रामीण भारत बन्द’ की घोषणा की। राष्ट्रीय कार्य समूह से सदस्यों ने कहा कि यह विरोध सरकार की विभिन्न सवालों पर विफलता को प्रकाश में लाएगा, जिनमें सभी फसलों के लिए सी2 पर 50 फीसदी समर्थन मूल्य, कर्ज से मुक्ति दिलाने और प्रभावी फसल बीमा तथा आपदा मुआवजा आदि के मुद्दे प्रमुख हैं। इसके अलावा, अधिवेशन में तय किया गया कि सभी राज्यों में इकाइयों को मजबूत किया जाए तथा आगामी आठ जनवरी के बंद आह्वान के लिए राज्य इकाइयां ठोस योजना तैयार करें।
अधिवेशन में नेशनल वर्किंग ग्रुप के सभी सदस्यों ने किसानों के विभिन्न सवालों पर अपने विचार रखे, जिनमें वन अधिकार कानून, एलएआरआर 2013 के सख्ती के साथ अमल, आदिवासियों और किसानों के जबरन विस्थापन का विरोध, मुक्त व्यापार संधियों, विदेशी कम्पनियों के खेती में हस्क्षेप बढ़ने तथा कृषि मजदूरों व बटाईदार किसानों के हक में समग्र कानून बनाने की बातें अहम रहीं। इसके अलावा कारपोरेट लूट, ग्रामीण लोगों के लिए 10,000 रुपये की पेंशन, फसल बीमा योजना, आपदा मुआवजा तथा जम्मू-कश्मीर के किसानों के नुकसान की भरपाई भी प्रमुख विषय है। इस मौके पर एआईकेएससीसी के 21 सूत्री मांगपत्र में किसान घोषणापत्र को लेकर भी चर्चा हुई।
संवाददाता सम्मेलन को संयुक्त तौर पर वीएम सिंह, राजू शेट्टी, हनन मौला, मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव, अतुल अंजान, डॉ आशीष मित्तल, डॉ सुनीलम, राजा राम सिंह, डॉ दर्शनपाल, सत्यवान, प्रतिभा शिन्दे, आविक सहा और किरन विस्सा ने संबोधित किया।