कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया है कि नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ कहीं भी किसी भी तरह का कोई विज्ञापन नहीं दिया जा सकेगा। इसके साथ ही अदालत ने सीएए से जुड़े लगाये गये विज्ञापनों को भी तत्काल हटाने का निर्देश दिया है।

दरअसल पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में बैनर पोस्टर लगाये हैं जिसमें नागरिकता संशोधन एक्ट का विरोध करते हुए इसे बंगाल में नहीं लागू करने की चेतावनी दी गई है। इसे लेकर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका लगाई गई थी। इसी पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश टीवीएन राधाकृष्णन की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि अधिनियम के खिलाफ किसी भी वेबसाइट, अखबार, समाचार चैनल अथवा किसी और जगह पर कोई विज्ञापन नहीं लगाया जा सकेगा। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ होने वाले हिंसक प्रदर्शनों के दौरान रेलवे को सैकड़ों करोड़ की क्षति हुई है। डिवीजन बेंच ने रेलवे को हुए नुकसान की पूरी रिपोर्ट पूर्व रेलवे और दक्षिण पूर्व रेलवे से तलब की है। इसके अलावा रेलवे ने अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए पहले से किस तरह की व्यवस्था कर रखी थी, इस बारे में भी रिपोर्ट तलब की गई है। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने खंडपीठ को बताया कि राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर काबू पा लिया गया है। कोर्ट ने सरकार से भी सरकारी संपत्ति के नुकसान के आकलन रिपोर्ट मांगी थी। इस बारे में किशोर दत्त ने कहा कि सरकार ने इससे संबंधित अग्रिम रिपोर्ट तैयार नहीं की थी, इसलिए सोमवार को इसे कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है। 9 जनवरी को जब मामले की अगली सुनवाई होगी तो सरकार इस पर रिपोर्ट पेश करेगी।

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