नई  दिल्ली। आपको जानकार हैरानी होगी की करीब 48 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को तब तक स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं, जब तक कि उन्हें नोवल कोरोना वायरस संक्रमण का टीका नहीं लग जाता।

देश के 361 जिलों में 32,000 से अधिक अभिभावकों के साथ किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 30 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने के इच्छुक हैं यदि उनके जिलों में कोरोनावायरस के मामले शून्य हो जाते हैं।

अगर बच्चों को शारीरिक कक्षाओं के लिए स्कूलों में जाना है तो आने वाले महीनों में बच्चों का टीकाकरण महत्वपूर्ण होगा। सर्वेक्षण में शामिल 48% प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि वे अपने बच्चों को टीकाकरण तक स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।

एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कहा गया है, “कम से कम 21 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि जब भी स्कूल फिर से खुलेंगे, तो वे अपने बच्चों को वहां भेजने के लिए तैयार हैं।

सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से लगभग 47 प्रतिशत टियर 1 जिलों से थे, 27 प्रतिशत टियर 2 से और 26 प्रतिशत उत्तरदाता टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भाजपा सांसदों से कहा था कि बच्चों के लिए कोविड का टीकाकरण जल्द शुरू होने की संभावना है।

अत्यधिक संक्रामक संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देश भर में स्कूलों को पिछले साल मार्च में देशव्यापी तालाबंदी से पहले बंद करने का आदेश दिया गया था।

जबकि कई राज्यों ने पिछले साल अक्टूबर में स्कूलों को आंशिक रूप से फिर से खोलना शुरू कर दिया था, दूसरी लहर के दौरान COVID-19 मामलों में तेजी से वृद्धि के बाद शारीरिक कक्षाओं को फिर से निलंबित कर दिया गया था।

जिन राज्यों ने इस महीने आंशिक रूप से स्कूल फिर से खोले हैं उनमें गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार शामिल हैं। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने अगस्त के पहले सप्ताह में स्कूलों को फिर से खोलने की घोषणा की है।

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