सरकार चाहती है कि जो भी कांग्रेस अध्यक्ष हो, उसके अपने आप ट्रस्टी बनने के नियम को बदला जाए…

बीजेपी ट्रिपल तलाक़ बिल पास कराने के बाद अब कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी में है. सरकार जल्द ही जालियांवाला बाग ट्रस्ट राष्ट्रीय स्मारक संशोधन बिल पास करा सकती है. लोकसभा में इस बिल को पेश किया जा चुका है. इस बिल के पास होने से कांग्रेस अध्यक्ष सीधे इसके ट्रस्टी नहीं बन पाएंगे.

क्या है मौजूदा नियम?

अब तक के नियम के मुताबिक जो भी कांग्रेस अध्यक्ष होता है, वो अपने-आप इस ट्रस्ट के ट्रस्टियों में शुमार हो जाता है. सरकार का कहना है कि पिछले चालीस-पचास सालों में कांग्रेस पार्टी ने इस राष्ट्रीय स्मारक के लिए कुछ नहीं किया.

क्या हो सकता है बदलाव?

सरकार चाहती है कि जो भी कांग्रेस अध्यक्ष हो, उसके अपने आप ट्रस्टी बनने के नियम को बदला जाए. इस ट्रस्ट के ट्रस्टियों में चैयरमेन के रूप में प्रधानमंत्री होते हैं. उनके अलावा संस्कृति मंत्रालय के मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, पंजाब के राज्यपाल, पंजाब के मुख्यमंत्री के अलावा जो भी कांग्रेस अध्यक्ष हो, वो सभी सदस्य रहते हैं. साथ ही तीन लोगों को ट्रस्टी के रूप में केंद्र सरकार नामांकित करती है. अगर ये बिल पास हो जाता है तो कांग्रेस अध्यक्ष अपने आप इस ट्रस्ट के ट्रस्टी नहीं हो सकेंगे.

कांग्रेस का विरोध

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने सरकार से अनुरोध किया है कि वो इसमें बदलाव न करें. पिछली बार इस बिल को लोकसभा में पास किया गया था. लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के चलते ये बिल लटक गया था. अब ट्रिपल तलाक बिल पास कराने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जालियांवाला बाग ट्रस्ट राष्ट्रीय स्मारक संशोधन बिल पास कराने में भी सरकार को कई दिककत नहीं आएगी. बता दें कि इस साल जालियांवाला बाग गोलीकांड के सौ साल पूरे हो रहे हैं.

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