मीडिया कंपनी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोयले से चलने वाले 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से आधे से ज्यादा में सितंबर के आखिरी दिनों में औसतन चार दिन का कोयला ही बचा था. 16 में तो बिजली बनाने के लायक भी कोयला बचा ही नहीं था. इसके विपरीत अगस्त की शुरुआत में इन प्लांट्स के पास औसतन 17 दिनों का कोयला भंडार था. कोयले की इतनी कमी बीते कई बरसों में नहीं देखी गई.
थर्मल प्लांटों में तीन से भी कम का बचा है कोयले का स्टॉक
उधर, बिजली संकट पर सरकार के ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि मैं नहीं जानता कि आने वाले पांच से छह महीने में भी हम ऊर्जा के मामले में आरामदायक स्थिति में होंगे. 40 से 50 गीगावॉट की क्षमता वाले थर्मल प्लांट्स में तीन दिन से भी कम का ईंधन बचा है. सरकारी मंत्रालय कोल इंडिया और एनटीपीसी लिमिटेड जैसी सरकारी कोयला कंपनियों से कोयले के खनन को बढ़ाने के लिए काम कर रही है, ताकि मांग के मुताबिक बिजली बन सके.