नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मौत की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। केंद्र सरकार ने याचिका में 2014 के शत्रुघ्न चौहान फैसले में बदलाव की मांग की है। केंद्र सरकार ने कहा कि फांसी की सजा पाए दोषी की पुनर्विचार याचिका, क्युरेटिव याचिका और दया याचिका के निपटारे के लिए समय सीमा तय होनी चाहिए।

केंद्र की दलील है कि ये गाइडलाइन सिर्फ दोषी के अधिकारों की ही बात और हिमायत करती है। पीड़ित पक्ष के अधिकारों को लेकर ये पूरी तरह खामोश है, जबकि दोनों के बीच संतुलन होना चाहिए। केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद मौत के सजायाफ्ता दोषी के लिए क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने के लिए समय निर्धारित की जाए।

केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि ये तय किया जाए कि कोर्ट की ओर से डेथ वारंट जारी करने के बाद सात दिनों के भीतर ही दया याचिका दायर की जा सकती है। देश के सभी सक्षम न्यायालयों, राज्य सरकारों, जेल प्राधिकारियों को उनकी दया याचिका को खारिज करने के सात दिन के भीतर डेथ वारंट जारी करने और इसके सात दिनों के भीतर मौत की सजा देने का आदेश दिया जाए, भले ही उसके साथी दोषियों की पुनर्विचार या क्यूरेटिव याचिका दया याचिका लंबित हो।

उल्लेखनीय है कि निर्भया के दोषियों को पटियाला हाउस कोर्ट ने पहले तो 22 जनवरी को फांसी देने के लिए डेथ वारंट जारी किया था लेकिन जब दया याचिका दाखिल की गई उसके बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट एक फरवरी के लिए जारी किया। अब एक फरवरी को भी डेथ वारंट पर अमल होगा कि नहीं, इसमें संदेह है।

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