देहरादून: राज्य मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड में धर्मांतरण को और अधिक सख्त और संज्ञेय बनाते हुए इसमें कई नए संशोधन करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह संशोधित विधेयक तत्काल प्रभाव से लागू होगा। सरकार का मानना है कि प्रलोभन,जबरन या विवाह आदि के उद्देश्य से विश्वास में लेकर धर्म परिवर्तन कराने वाले षडयंत्रकारियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की व्यवस्था से धर्मांतरण पर अंकुश लग सकेगा। बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई लेकिन इसमें विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर मंत्रिमंडल के निर्णय की औपचारिक जानकारी नहीं दी गई। हालांकि सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल में लगभग दो दर्जन से अधिक विषय रखे गए। मंत्रिमंडल द्वारा उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के विभिन्न प्रावधानों पर संशोधनों को मंजूरी दी गई। संशोधन के फलस्वरूप अस्तित्व में आने वाले उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 के कई प्रावधान अवैध धर्मांतरण और लव जिहाद जैसी पनपती प्रवृत्तियों पर काफी हद तक अंकुश लगा सकेगा। मूल अधिनियम की धारा 03 के अनुसार कोई व्यक्ति बल,असम्यक असर प्रपीड़न, प्रलोभन के प्रयोग या पद्धति द्वारा अथवा कपटपूर्ण साधन के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अन्यथा रूप से एक से दूसरे धर्म में परिवर्तन नहीं करा सकेगा। धर्म परिवर्तन के लिए किसी को उत्प्रेरित, विश्वास दिलाने या षडयंत्र करने पर भी रोक लगाई गई है। व्यवस्था के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने ठीक पूर्व धर्म में परिवर्तन करता है तो उसे अधिनियम के अधीन धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। ऐसी स्थिति में धर्म परिवर्तित व्यक्ति के रक्त संबंधी, विवाह या दत्तक ग्रहण से संबंधी धर्म परिवर्तन की धारा तीन के उपबंधों का उल्लंघन होने पर एफआईआर दर्ज करा सकता है। धारा तीन के उल्लंघन पर दो से 07 वर्ष की सजा न्यूनतम 25 हजार रुपये का जुर्माना होगा। यदि कोई अवयस्क महिला या एसी/एसटी से संबंधित व्यक्ति के मामले में धारा तीन के उल्लंघन करने वाले पर दो से 10 वर्ष की सजा और न्यूनतम 25 हजार जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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