नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसलों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार को विपक्षी नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से राजनीति करने की बजाय संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को उबारने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने आर्थिक मंदी के लिए मोदी सरकार के नोटबंदी और जल्दबाजी में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसीटी) लागू किए जाने के फैसलों को जिम्मेदार ठहराया।

डॉ सिंह ने रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि चालू के कीमतों के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (नॉमिनल जीडीपी) की वृद्धि दर 15 वर्ष में सबसे निचले स्तर पर है । खपत दर भी 18 माह के निचले स्तर पर है। निवेश ठप है और कारोबार व कारोबारी टैक्स की मार झेल रहे हैं। उन्होंने मौजूदा हालात का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि ऑटो मोबाइल क्षेत्र में पिछले कुछ माह के दौरान साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों की छंटनी हुई है और वे बेरोजगार हो गए हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी खस्ताहाल है और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी की बजाय कमी आई है, जो कि अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए ठीक नहीं है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने हाल ही में सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से उसकी रिजर्व मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये निकाले जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल किस तरह और कहां किया जाए, सरकार के पास इसकी भी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार आरबीआई सहित विभिन्न संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म करने पर आमादा है।

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