नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौजूदा समय में आधुनिक तकनीक के महत्व को स्वीकारते हुए छात्रों को इसका गुलाम नहीं बनने की सलाह देते हुए कहा कि वह एक घंटा तकनीक से दूर रहकर परिजनों के साथ बितायें। उन्होंने कहा कि हमें तकनीक को अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग करना चाहिए, उसका गुलाम नहीं बनना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तालकटोरा स्टेडियम में ‘परीक्षा पे चर्चा-2020’ के तीसरे संस्करण के दौरान अंडमान की छात्रा के दिव्या और सिक्किम के दीपेश राय के छात्र जीवन में विज्ञान और तकनीक के महत्व से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इन दिनों परिवारों में आमतौर पर देखा जाता है कि चार सदस्य एक साथ बैठे हैं लेकिन वह आपस में बातचीत करने के बजाय अपने-अपने फोन पर व्यस्त होते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रौद्योगिकी मुक्त एक घंटे का समय निकालने की सलाह देते हुए कहा कि यदि संभव हो तो घर में एक कमरा ऐसा चिह्नित करें जहां तकनीक का प्रवेश ही वर्जित हो। ऐसा करने से तकनीक आप पर हावी नहीं हो सकेगी।

मोदी ने कहा कि तकनीकी रुझान तेजी से बदल रहे हैं और इन रुझानों से अपडेट रहना आवश्यक है। तकनीक का डर अच्छा नहीं है। प्रौद्योगिकी एक मित्र है। प्रौद्योगिकी का संपूर्ण ज्ञान पर्याप्त नहीं है। यह उतना ही महत्वपूर्ण है।

उत्तर प्रदेश के अभिषेक गुप्ता, बिहार की जूली सागर और केरल की आयरीन ने करियर विकल्पों को लेकर अस्पष्टता के संबंध में सवाल किया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि खुद को जानना काफी मुश्किल होता है लेकिन अगर आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर देखेंगे तो खुद को बेहतर समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम का संचालन कर रहे केंद्रीय विद्यालय के छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि अब यह छात्र विश्वास से लबरेज हो गए होंगे। प्रधानमंत्री ने छात्रों को दूसरों की देखादेखी करियर चुनने की होड़ से बचने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा करने पर निराशा हाथ लगती है।

प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश की छात्रा तापी, तमिलनाडु के शैलेष और गुजरात के गुनाशी शर्मा के संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों से जुड़े प्रश्नों को उत्तर देते हुए युवा पीढ़ी से मौलिक कर्तव्यों को अहमियत देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारे कर्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित होते हैं। यदि एक शिक्षक पढ़ाने का अपना कर्तव्य निभाएगा तो बच्चों का शिक्षा का अधिकार स्वत: ही सुरक्षित रहेगा।

मोदी ने युवा पीढ़ी से राष्ट्र हित में स्वदेशी को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि देश 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा ऐसे में मैं और मेरा परिवार मेक इन इंडिया अर्थात स्थानीय उत्पाद ही खरीदेंगे और यह हमारा कर्तव्य है। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि 2047 में भारत आजादी के सौ साल मनाए उस समय यहां बैठे छात्र देश का नेतृत्व कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि यह पीढ़ी हमारे संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों को करने का जिम्मा उठाएगी।

आंध्रप्रदेश के तावेद पवार, जम्मू कश्मीर की करिशमा रैना और छत्तीसगढ़ की मोनिका ने प्रधानमंत्री से परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अभिभावकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का उपाय पूछा। इसके जवाब में मोदी ने अभिभावकों को सुझाव दिया कि वे अपने बच्चों की क्षमता को पहचाने और उन्हें उसी के अनुरूप कार्य के लिए प्रोत्साहित करें। अभिभावकों को बच्चों पर दबाव बनाने से बचना चाहिए।

मोदी ने कहा कि जितना ज्यादा आप बच्चे को प्रोत्साहित करेंगे, उतना परिणाम ज्यादा मिलेगा और जितना दबाव डालेंगे उतना ज्यादा समस्याओं को बल मिलेगा। अब ये मां-बाप और अध्यापकों को तय करना है कि उन्हें क्या चुनना है।

महाराष्ट्र की प्रेरणा, लद्दाख के ताजिंग और शिलांग के शुभाशीष ने अहले सुबह पढ़ने को लेकर परिवार के आग्रह को लेकर प्रधानमंत्री से पूछा कि पढ़ने का सर्वोत्तम समय कौन सा होता है। इस सवाल को सुनकर प्रधानमंत्री बेहद प्रसन्न नजर आये। उन्होंने कहा कि यह सवाल सुनने में भले ही छोटा लगता हो लेकिन वास्तव में छात्रों ने मुझे अपना माना है।

उन्होंने कहा कि सुबह और शाम के समय पक्षियों की चहचहाहट को अंतर बताते हुए बच्चों को प्रकृति से संघर्ष नहीं करने की सलाह देते हुए कहा कि हमें प्रकृति के अनुकूल समय खोजना चाहिए। मोदी ने कहा कि जरूरी यह नहीं है कि रात को पढ़ना है या सुबह को पढ़ना है प्रत्येक विद्यार्थी की अपनी विशेषता होती है और आप जिसमें सहज महसूस करें उस समय पढ़ें।

राजस्थान की छात्रा यशश्री ने पूछा कि बोर्ड की परीक्षाओं का विचार उनका मूड ऑफ कर देता है। मोदी ने कहा कि इसके लिए ज्यादातर बाहर की परिस्थितियां जिम्मेदार होती हैं। उन्होंने चंद्रयान की विफलता से सीखने की सलाह देते हुए कहा कि जिंदगी में हर किसी को मोटिवेशन और डिमोटिवेशन का सामना करना पड़ता है, लेकिन हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि चंद्रयान की लॉन्चिंग के समय उन्हें वहां नहीं जाने की सलाह दी गई थी। हालांकि उन्होंने इसे नहीं माना और वैज्ञानिकों के उत्साहवर्धन के लिए वह उस पल के साक्षी बने। उन्होंने कहा कि उस समय पूरा देश डिमोटिवेट हो गया था। वह स्वयं रातभर सो नहीं सके और सुबह एक बार फिर वैज्ञानिकों से मिले और उनका उत्साहवर्धन किया। इसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया।

मध्य प्रदेश की प्राजक्ता, दिल्ली की रिया नेगी और हुगली की अनामिका ने पढ़ाई और पाठ्येतर गतिविधियों को संतुलित करने संबंधी सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एक छात्र के जीवन में सह-पाठयक्रम गतिविधियों का भी विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि यदि छात्र पाठ्येतर गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेंगे तो वह रोबोट की तरह बन जाएंगे। हालांकि अध्ययन और अतिरिक्त गतिविधियों को संतुलित करने के लिए छात्रों को एक बेहतर समय प्रबंधन की आवश्यकता होगी। हालांकि उन्होंने अभिभावकों को भी आगाह किया कि वे अपने बच्चों के पाठ्येतर गतिविधियों को फैशन स्टेटमेंट या कॉलिंग कार्ड न बनाएं। पाठ्येतर गतिविधियों के लिए ग्लैमर से प्रेरित नहीं होना चाहिए।

इससे पहले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि दुनिया के एक वृहदतम शिक्षा तंत्रों के रूप में आज हमारे 1000 विश्वविद्यालय, 45000 डिग्री कॉलेज, 16 लाख विद्यालय, 1 करोड़ शिक्षक, 33 करोड़ विद्यार्थी आपके सपनों को साकार करने के लिए कृत संकल्पित हैं।

90 मिनट से अधिक समय तक चले कार्यक्रम में इस बार देश और विदेश के विद्यार्थियों ने 23 सवाल पूछे। कार्यक्रम में 50 दिव्यांग छात्रों सहित दो हजार से अधिक चयनित विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों ने किया।

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