नई दिल्ली। यूनिटेक बायर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार यूनिटेक को टेकओवर करेगी। हरियाणा के पूर्व आईएएस अधिकारी वाईएस मलिक यूनिटेक के नए सीएमडी बनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक का सात सदस्यों का नया बोर्ड बनाया है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नए बोर्ड को दो महीने में नई व्यवस्था बनाने का मौका देते हुए इस मामले की सुनवाई दो महीने तक नहीं करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यूनिटेक के खिलाफ चल रही जांच चलती रहेगी।
दरअसल, पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यूनिटेक के अधूरे प्रोजेक्ट्स के निर्माण का काम एनबीसीसी को दे देना चाहिए। केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वो अधूरे प्रोजेक्ट्स के निर्माण कार्य की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त करें। केंद्र सरकार ने अधूरे प्रोजेक्ट्स को तय समय में पूरा करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी ताकि फ्लैट खरीददारों को कब्जा मिल सके।
बीते नौ मई,2019 को कोर्ट की ओर से नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटर्स को सहयोग नहीं करने पर कोर्ट ने यूनिटेक के एमडी संजय चन्द्रा और भाई अजय चन्द्रा को तिहाड़ जेल में मिलने वाली सभी सुविधाओं पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि दोनों के साथ एक सामान्य कैदी की तरह पेश आया जाए। सुनवाई के दौरान फोरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया था कि यूनिटेक के अधिकारी उन्हें सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे डिजिटल साक्ष्य मुहैया नहीं करा रहे हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे केंद्र सरकार को यूनिटेक समेत उसकी 48 सब्सिडियरी कंपनियों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए कह सकते हैं। 23 जनवरी,2019 को कोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। दोनों पिछले साल नौ अगस्त से जेल में बंद हैं। कोर्ट ने जमानत देने के लिए 750 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था।
उससे पहले 07 दिसम्बर,2018 को सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक का फॉरेंसिक ऑडिट करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि फॉरेंसिक ऑडिट होने तक यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को ज़मानत नहीं मिलेगी। कोर्ट ने दो ऑडिटर नियुक्त करने का आदेश दिए थे। कोर्ट ने इन ऑडिटरों को 2006 से यूनिटेक की 74 कंपनियों व उनकी सहायक कंपनियों के खातों का ऑडिट करने का आदेश दिया था। 13 दिसम्बर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा यूनिटेक को केंद्र सरकार द्वारा टेकओवर करने के आदेश देने के फैसले पर रोक लगा दी थी। केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने माफी मांगते हुए कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है तो उन्हें एनसीएलटी में नहीं जाना चाहिए था।

Show comments
Share.
Exit mobile version