नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट एक फरवरी को संसद में पेश होगा। इससे एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के पटल पर वित्त वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण शुक्रवार को पेश किया। सीतारमण ने संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर 6 से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ 5 फीसदी रहने की बात कही गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि सरकार को तेजी से सुधारों को लाने के लिए अपने बहुमत का उपयोग करना चाहिए, जिससे कि वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर लाया जा सके। सर्वेक्षण में ये कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर कमजोर होने और देश के वित्तीय क्षेत्र की समस्याओं की वजह से निवेश धीमा होने से भारत पर असर पड़ रहा है। इसकी वजह से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर पर आ गई है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि क्रूड की कीमतों में राहत से चालू खाता घाटा कम हुआ। वित वर्ष 2019-20 की प्रथम छमाही में आयात में कमी आई है, जो निर्यात में कमी से कहीं अधिक है। वहीं, महंगई की दर अप्रैल 2019-20 में 3.2 फीसदी से तेजी से गिरकर दिसंबर, 2019-20 में 2.6 फीसदी पर आ गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में आर्थिक विकास की गति तेज होने में 10 क्षेत्रों का प्रमुख योगदान रहा है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-2025 के बीच सरकार इंफ्रा सेक्टर में 102 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। सर्वे रिपोर्ट में ये सलाह दी गई है कि अगले 3 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर यानी 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, ताकि अर्थव्यवस्था के विकास में यह बाधा न बने।
देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणयम के नेतृत्व में तैयार इस आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा संसद के पटल पर रखा गया। कृष्णमूर्ती ने यहां प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि उनकी टीम ने छह महीनों में ये दूसरा आर्थिक सर्वे तैयार किया है।
सुब्रमण्यन ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि इस बार आर्थिक सर्वेक्षण 2020 की थीम ‘वेल्थ क्रिएशन’ है। उन्होंने कहा कि हम पुराने और नए को साथ लेकर चलने की सिंथेसिस पर चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर चालू वित्त वर्ष हम 100 रुपये का नया नोट लेकर आए, लेकिन पुराना भी बरकरार रहा।
उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से गुजर रही है। इसकी वजह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सुस्ती है। क्योंकि, विकसित, विकासशील और उभरते सभी बाजार सुस्ती के दौर से जूझ रहे हैं। सुब्रमण्यन ने कहा कि नॉन फूड क्रेडिट में कॉरपोरेट कर्ज 2013 में पीक पर थे, जिन कंपनियों ने 2008-2012 के बीच बड़े पैमाने पर लोन लिया। उन्होंने 2013-17 के बीच कम निवेश किया। इसके चलते 2013 के बाद से निवेश घटा, जिसका निवेश पर नकारात्मक असर पड़ा। निवेश घटने से 2017 के बाद जीडीपी ग्रोथ भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई।
सुब्रमण्यन ने कहा कि वेल्थ क्रिएशन के लिए बाजार और विश्वास को साथ मिलकर चलने की जरूरत है, जिसका जिक्र अर्थशास्त्र में भी है। उन्होंने बताया कि आंत्रप्रेन्योर्स द्वारा वेल्थ क्रिएटर्स का विश्लेषण दर्शाता है कि वेल्थ क्रिएशन सभी के लिए फायदेमंद है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि देश में विलफुल डिफॉल्ट नहीं होते तो सरकार सोशल सेक्टर, रेलवे आदि जैसे क्षेत्रों में और अधिक पैसे खर्च करने में सक्षम होती। इसके अलावा आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था तथा बाजार को मजबूत बनाने के लिए 10 नए विचारों की वकालत भी की गई है।