लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर जातीय संगठन नहीं होने चाहिए। महर्षि बाल्मीकि को एक जाति से जोड़कर प्रचारित किया जाता है यह गलत है। महर्षि वाल्मीकि सबके थे। वह अछूत नहीं थे। वह विश्व संवाद केंद्र के अधीश सभागार में आयोजित सामाजिक सद्भाव सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम श्री राम जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि छुआछूत कैंसर से देश को मुक्त करना करना है।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं इसलिए अगर समय रहते हम सचेत नहीं हुए तो इसके भयावह परिणाम होंगे। भोगवाद विकास का मॉडल नहीं है। यह विनाश का मॉडल है। उन्होंने कहा कि भारत में चरित्र की पूजा होती है अलंकारों कि नहीं।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत अध्यात्म और मानवता की सर्वश्रेष्ठ भूमि है। चीन राक्षसी प्रवृत्ति का देश है जबकि भारत मानवतावादी देश है। वहीं अमेरिका भोगवादी देश है। भारत ने कोविड के समय कई देशों में अपनी दबाएं मुफ्त में भेजी। भारत भारतीय और भारतीयता मानवता के प्रतीक हैं। भारत ने कोविड की दो वैक्सीन बनाई है। आज भारत तेजी से बदल रहा है। चुनौती और संकट है। इसी संकट के बीच एक नए भारत का सृजन होगा। भारत का नेतृत्व आज शिखर पर है। लेकिन हमें अपने पर भरोसा नहीं है यही सबसे बड़ा संकट है। इसलिए अपनी संस्कृति पर स्वाभिमान और गौरव बहुत जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष भदंत शांति मित्र ने कहा कि भारत धर्म का आधार लेकर पूरे विश्व में चला है। आज प्रदेश और देश में धर्म की सरकार है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष कहना अपमान है। संविधान में पंथनिरपेक्ष लिखा है धर्मनिरपेक्ष नहीं। नेताओं की भूल के कारण धर्म के नाम पर हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए। भदंत शांति मित्र ने कहा कि धर्म के बिना कोई भी विकास नहीं हो सकता। कार्यक्रम को वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र भदोरिया और राष्ट्रधर्म के निदेशक सर्वेश चंद्र द्विवेदी ने संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक सद्भाव अवध प्रांत के प्रांत संयोजक राजेंद्र ने किया।

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