भोपाल। माघ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार, 10 जनवरी को साल-2020 का पहला चन्द्रग्रहण पड़ने जा रहा है। इस दौरान पूनम का चांद कुछ अनमना, अलसाया सा दिखाई देगा। शुक्रवार रात 10 बजकर 37 मिनट के बाद चांद की चमक फीकी पड़ने लगेगी और रात 12 बजकर 40 मिनट पर यह फीका हो जाएगा। इसके बाद चमक फिर बढ़नी शुरू होगी और रात 2 बजकर 42 मिनट पर आम पूनम के चांद की तरह चमक उठेगा। यह पेनुम्ब्रल लूनर इकलिप्स की खगोलीय घटना के कारण होने जा रहा है। यह घटना चार घंटे पांच मिनट तक चलेगी। यह जानकारी भोपाल के प्रसिद्ध विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गुरुवार को मीडिया को दी।

सारिका घारू ने बताया कि शुक्रवार को पड़ने वाला चन्द्र ग्रहण यूनाइटेड स्टेट, ब्राजील, अर्जेंटीना को छोड़कर भारत सहित दुनियाभर में दिखाई देगा। इस खगोलीय घटना में सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाएगी चूंकि चंद्रमा को सूरज से चमक मिलती है। इसलिए ग्रहण के दौरान पृथ्वी की घनी छाया तो चांद पर नहीं पड़ेगी लेकिन चांद उपछाया की सीध में आ जाएगा। इससे चंद्रमा की चमक फीकी पड़ जाएगी। इसे उपछाया चंद्रग्रहण या पेनुम्ब्रल लूनर इकलिप्स कहते हैं।
सारिका ने बताया कि चंद्रग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। जब चंद्रमा पृथ्वी की घनी छाया की सीध में आ जाता है, जिसे अम्ब्रा कहते हैं और यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कहलाता है। जब चंद्रमा केवल उपछाया (पेनुम्ब्रा) की सीध में आता है तो इसे पेनुम्ब्रल लुनर इकलिप्स या उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं। इसमें चमक कुछ फीकी हो जाती है। जब चंद्रमा का कुछ भाग घनी छाया में आता है तो आंशिक चंद्रग्रहण होता है। सभी चंद्रग्रहण को खाली आंखों से देखा जा सकता है इसे देखने के लिये व्यूअर या काई यंत्र आवश्यक नहीं होता है।

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