नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर फैले भ्रम के माहौल के बीच हुई हिंसा की निंदा की है। सेना प्रमुख ने इन आंदोलनों के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि आगजनी और हिंसा सही नेतृत्व की निशानी नहीं है।

सेना प्रमुख ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि नेतृत्वकर्ता को जनसमुदाय और छात्रों को सही दिशा में ले जाना चाहिए न की गलत दिशा में। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्र आगजनी और हिंसक प्रदर्शन के लिए भीड़ का हिस्सा बन रहे हैं। ऐसे में आगजनी और हिंसा सही नेतृत्व की निशानी नहीं है। हमें छात्रों और जनसमुदाय की चिंता करते हुए उन्हें सही दिशा में ले जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पिछले कई दिनों से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस दौरान कुछ विरोध प्रदर्शन हिंसक भी रहे हैं जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। दूसरी ओर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में भी प्रदर्शन हुए हैं जिनमें से कुछ में पुलिस की कार्रवाई की विरोध समर्थक निंदा कर रहे हैं।

रावत ने कहा कि नेतृत्व करना एक जटिल कार्य है और यह सभी अग्रणी लोगों पर लागू होती है। जब कुछ लोग आगे बढ़ते हैं, तो हर कोई अनुसरण करता है। यह उतना सरल नहीं हैं। यह सरल प्रतीत होता है, लेकिन यह एक जटिल कार्य है।

उनके बयान की कई राजनीतिक नेताओं ने यह कहते हुए जवाब दिया है कि वह एक पद पर हैं जहां राजनीतिक बयान नहीं दिया जाना चाहिए।

सेना प्रमुख के बयान पर पलटवार करते हुए एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन औवेसी ने कहा कि अपने कार्यालय की सीमाओं को जानना भी नेतृत्व का ही हिस्सा है। नेतृत्व करना यह समझना भी है कि आप एक नागरिक समाज के एक अंग का नेतृत्व कर रहे हैं और उसकी अखडंता को बरकरार रखना आपकी जिम्मेदारी है।

वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि नेतृत्व करने वाल वह भी नहीं होतें हैं जो अपने लोगों को संप्रदायिक हिंसा में शामिल होने की मंजूरी देते हैं।

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