मुंबई। पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए स्थानीय पुलिस अब अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की मदद लेगी। पुलिस को मामले के एक आरोपित पी. वरवरा राव के घर से हार्ड डिस्क मिली थी, जो टूटी-फूटी थी। पुलिस को उम्मीद है कि इस हार्ड डिस्क से कई मेसेज को रिलोड किया जा सकता है। इससे माओवादियों के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक मामले की जांच के लिए पुणे पुलिस की एक टीम बहुत जल्द अमेरिका जाएगी।

एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में आहूत विजयस्तंभ अभिवादन कार्यक्रम की तैयारी के लिए पुणे के जिलाधिकारी नवलकिशोर राम ने पुलिस अधिकारियों की बैठक आयोजित की थी। बैठक में भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा की सघन जांच करने लिए एफबीआई की मदद लेने पर भी चर्चा हुई। बैठक में पुलिस उपायुक्त मितेश घट्टे, सुधीर हिरेमठ, निवासी उपजिलाधिकारी डॉ. जयश्री कटारे, संतोष कुमार देशमुख, पूर्व उपमहापौर सिद्धार्थ धेंडे, भीमा-कोरेगांव समन्वय समिति के अध्यक्ष राहुल डंबाले समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।

पुलिस के मुताबिक 31 दिसम्बर 2017 को प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के फंड से एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। इस दौरान नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए थे। पुलिस का मानना है कि भड़काऊ भाषण के कारण ही एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस ने भाकपा (माओवादी) से संबंधों के चलते छह जून 2018 के बाद से नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी. वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोन्साल्वेज शामिल हैं। जांच के दौरान पुलिस को आरोपित वरवरा राव के घर से एक हार्ड डिस्क मिली थी, जो टूटी-फूटी थी। पुलिस को उम्मीद है कि इस मामले में हार्ड डिस्क से कुछ सबूत मिल सकते हैं।

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