दुनिया के कई विकसित देशों में जन्मदर तेजी से गिरी (nations with lowest birth rate) है. ऐसे में वहां सरकारें शादी और बच्चे के जन्म को बढ़ावा देने के लिए अनोखे तरीके अपना रही हैं. हाल ही में जापान की सरकार ने गिरती जन्म दर को काबू करने के लिए पुरस्कार देने का एलान किया. इसके तहत वहां शादी करने वाले जोड़ों को लाखों रुपए इनाम में मिलेंगे. टोक्यो का ये फैसला अपने देश को बुजुर्ग आबादी वाला देश बनने से रोकना है. बता दें कि पूरे विश्व में आबादी के हिसाब से सबसे बुजुर्ग देश है, जहां हर साल के साथ जन्मदर गिर रही है. जानिए, वे कौन से पश्चिमी देश हैं, जहां शादी और शिशुजन्म पर कपल को पुरस्कार दिया जा रहा है.
सबसे पहले बात करते हैं जापान की. एक्सपर्ट इसे डेमोग्राफिक टाइम बम पर बैठा मान रहे हैं. बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर जोड़ों ने संतान जन्म पर ध्यान नहीं दिया तो अगले 20 सालों में यहां की 35 प्रतिशत आबादी 80 साल से ज्यादा आयु वालों की होगी. वहीं अगले 5 ही सालों में यानी 2025 तक जापान का हर 3 में से 1 इंसान 65 साल की उम्र से ज्यादा का होगा.

जुर्ग आबादी बढ़ने के कारण देश पर कई नकारात्मक असर दिख रहे हैं. जैसे अकेलेपन से जूझते ये लोग अपराध करने लगे हैं ताकि जेल जा सकें. बता दें कि जापान में जेल का माहौल और कैदी की देखभाल अच्छी होती है. यही देखते हुए अकेले से निकलने के लिए उम्रदराज लोग छोटे-मोटे अपराध करने लगे हैं. जापान की अर्थव्यवस्था के लिए यह खतरा बनता जा रहा है. जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक कैदी को जेल में रखने का 1 साल का खर्च, 20 लाख 80 हज़ार रुपये होता है. ये किसी नागरिक के लिए जापान में चलाई जाने वाली सोशल वेलफेयर स्कीम पर आने वाले सालाना खर्च से दोगुना है.

साथ ही बुजुर्गों के बढ़ने से जापान पर पेंशन का दबाव भी बढ़ा है. इसके अलावा काम करने वाली आबादी कम हो रही है. यही देखते हुए इसी साल अप्रैल से सरकार ने 35 साल तक की उम्र के कपल के शादी करने पर उनके लिए 4 लाख 25 हजार रुपए इंसेंटिव देने का एलान किया. कुछ शर्तें भी हैं, जैसे शादी करने वाले जोड़े की उम्र 40 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और उनकी सालाना आय 33 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो.

यूरोपियन देश फिनलैंड के कई प्रांत बेबी बोनस देने की शुरुआत साल 2013 में ही कर चुके. वहां घटती जन्मदर को देखते हुए ये एक्शन लिया गया. खासकर एक गांव लेस्टिजारवी एक तरह से फिनिश सरकार के लिए अलर्ट था. वहां साल 2012 में एक गांव में केवल एक बच्चा जन्मा, जबकि गांव युवा जोड़ों से भरा हुआ था. तब नगरपालिका ने बेबी बोनस नाम से इंसेंटिव प्रोग्राम की शुरुआत की. इसके तहत हर बच्चे के जन्म पर पेरेंट्स को अगले 10 सालों तक 10 हजार यूरो दिए जाते हैं.

इसी तरह से बाल्टिक देश एस्टोनिया ने भी बड़ी पहल की. यूरोप के उत्तर-पूर्व में बाल्टिक सागर के पूर्वी तट पर बसा ये ये देश पहले सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था. साल 1991 में ये रूस से अलग हुआ. इस दौरान कई आर्थिक-सामाजिक बदलाव हुए. इसका नतीजा वहां की जन्मदर पर हुआ. एस्टोनिया में जन्मदर तेजी से घटी. इसे रोकने के लिए अब वहां बच्चे के जन्म के डेढ़ साल तक पूरी तनख्वाह के साथ छुट्टी दी जाती है. साथ ही सरकार तीन या ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को इनाम देती है. उन्हें हर महीने 300 यूरो का मासिक बोनस मिलता है.

इटली में पिछले कई दशकों से जन्म दर नीचे है और इसमें गिरावट हो रही है. 2018 में यह पहली बार 1.3 तक गिर गई. ये देखते हुए घबराई सरकार कई उदार फैसले ले रही है. जैसे इटली के कई उजाड़ गांवों को बसाने के लिए विदेशी युवा जोड़ों को बुलाया जा रहा है, शर्त केवल इतनी है कि वे संतान पैदा करने के इच्छुक हों और इटली में ही बसे रहें. इसके लिए उन्हें 80 रुपए से 1500 रुपए तक में अच्छा-खासा घर और दूसरी सुविधाएं दी जा रही हैं.

इधर चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी का अलग ही असर हुआ. वहां पुरानी सोच वाले चीनी कपल ने लड़कों के जन्म को तवज्जो दी. इस वजह से चीन में आज लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से काफी कम है. हालात इतने बिगड़े कि अब चीन में शादी के लिए पुरुषों को दुल्हनें नहीं मिल रहीं. यहां तक कि वहां शादियों के लिए गरीब देशों से लड़कियों की तस्करी की जा रही है. यही सब देखते हुए सरकार ने वहां साल 2013 के अंत में वन चाइल्ड पॉलिसी को विराम दे दिया. अब वहां जोड़े दो बच्चे पैदा कर सकते हैं. हालांकि इसपर किसी तरह का इंसेंटिव नहीं है.

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