वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्‍व विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने के मामले में सिविल जज आशुतोष त्रिपाठी की अदालत (सीनियर डिविजन फास्‍ट ट्रैक कोर्ट) ने मंगलवार को दाखिल आपत्तियों पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। बुधवार को फैसला सुनाया जा सकता है, इसलिए कोर्ट के फैसले को लेकर लोगों में उत्सुकता भी बनी हुई है।

ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से दाखिल वाद में 22 साल बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्‍ट ट्रैक) आशुतोष तिवारी की कोर्ट में सुनवाई हुई। मुकदमे में नियुक्‍त वादमित्र विजय शंकर रस्‍तोगी की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्‍व विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने के आवेदन पर दूसरे पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड (लखनऊ) ने आपत्ति दाखिल की है। अंजुमन इंतजामिया के और वक्‍फ बोर्ड के अध्विक्ता ने उच्च न्यायालय में प्रकरण से संबंधित याचिका लंबित और स्‍टे होने की जानकारी दी। उनका पक्ष है कि ऐसी स्थिति में सिविल जज को मुकदमे की सुनवाई का अधिकार नहीं है, इसलिए सुनवाई स्‍थगित की जानी चाहिए।

वादमित्र विजय शंकर रस्‍तोगी का तर्क है कि उच्च न्यायालय में स्‍थगन आदेश समाप्‍त होने पर ही सिविल जज के न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई है। उनका कहना है कि विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्‍वयंभू विश्‍वेश्‍वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्‍थापित है। मंदिर परिसर के हिस्‍सों पर मुसलमानों ने कब्जा करके मस्जिद बना दी। 15 अगस्‍त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्‍वरूप मंदिर का ही रहा। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में साक्ष्‍य एकत्रित करने के लिए भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग से सर्वेक्षण कराया जाना जरूरी है।

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