रांची। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चिकित्सा, विज्ञान, खगोल विज्ञान, तकनीक आदि में भारत ने पूरे विश्व को राह दिखाई है। भले ही इसका श्रेय पाश्चात्य देशों के वैज्ञानिक ले गए। सिंह सोमवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रांची का नौवां दीक्षांत समारोह में कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअल माध्यम से जुड़कर बोल रहे थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत में प्रबंधन और कौशल से जुड़ाव सदियों से रहा है। अपने कुशल प्रबंधन से शून्य से शिखर पर पहुंचने के भारत में कई मिसाल हैं। उन्होंने कहा कि छात्र झारखंड की खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधनों के अलावा इसके स्वर्णिम इतिहास पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आईआईएम रांची के छात्रों को, झारखंड के लोगों को यहां की संस्कृति को समझना चाहिए और उनके विकास के लिए काम करना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने छात्र-छात्राओं को मानव कल्याण के लिए अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग तकनीक के विकास में करने का भी पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तकनीक ही एक-दूसरे को जुड़े रहने में मदद कर रही है। युवाओं के लिए यह सबसे बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि भारत की गौरवशाली अतीत और समृद्ध परंपरा इसमें मदद कर सकती है। युवा अपनी धरोहर को समझें और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि युवा इनोवेशन और नए आइडिया से चुनौतियों को अवसर में बदलने की क्षमता रखते हैं। सिंह ने युवाओं को अपने माता-पिता को नहीं भूलने की सीख देते हुए कहा कि माता-पिता से बड़ा कोई मैनेजर नहीं होता। वे सर्वश्रेष्ठ प्रबंधक होते हैं, जो बिना किसी डिग्री के अपने परिवार का बेहतर प्रबंधन करते हैं। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सफलता का रास्ता असफलता की गलियों से निकलता है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है,  जो असफल ना हुआ हो ।
उन्होंने कहा कि रामानुज जैसे महान गणितज्ञ भी बोर्ड में 2 बार फेल हुए थे। उन्होंने नेल्सन मंडेला, स्टीव जॉब्स आदि हस्तियों का उदाहरण दिया। उन्होंने छात्र छात्राओं को मानव कल्याण के लिए अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग तकनीक के विकास में करने का भी पाठ पढ़ाया। आईआईएम रांची के दीक्षांत समारोह में 272 स्टूडेंट्स को उपाधि प्रदान की गई। इनमें तीन विभागों से टॉप 5 स्टूडेंट्स कुल 15 स्टूडेंट्स को उत्कृष्ट प्रदर्शन का मेडल प्रदान किया गया। साथ ही 272 विद्यार्थियों के बीच डिग्री और डिप्लोमा प्रदान किया गया।
इस समारोह में आईआईएम रांची के निर्देशक प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह पिछले मार्च में ही आयोजित होना था। लेकिन कोरोना के कारण यह नहीं हो पाया था। मौके पर प्रोफेसर और कर्मी सहित छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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