नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने स्कूली छात्रों के गणित और विज्ञान विषयों पर पकड़ और अध्ययन कौशल पर विश्वास व्यक्त करते हुए दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (पीसा)- 2021 में भारत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा। इस बार यह परीक्षा अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी होगी।
केंद्र सरकार ने वैश्विक स्तर पर 15 वर्षीय भारतीय छात्रों की बुद्धिमता का लौहा मनवाने के लिए एक दशक बाद ओईसीडी द्वारा आयोजित पीसा-2021 प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का निर्णय किया है। इसका आयोजन प्रत्येक तीन वर्षों बाद होता है। पीसा की शुरुआत वर्ष 2000 में की गयी थी लेकिन भारत ने इसमें पहली बार 2009 में हिस्सा लिया था। इसमें 74 देशों की सूची में भारत को 72वां स्थान मिला था।
केंद्रीय मंत्री निशंक ने शुक्रवार को यहां पीसा-2021 की तैयारियों पर चर्चा के लिए आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के निदेशक एंड्रियास श्लेचर से पहली मुलाकात की। बैठक के दौरान विश्व बैंक और एमएचआरडी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
निशंक ने श्लेचर को बताया कि पीसा-2021 परीक्षा के लिए भारत की तैयारी जोरों पर है और उम्मीद है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के छात्र इस परीक्षा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
उन्होंने कहा कि ओईसीडी के निदेशक ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अध्यापक मूल्यांकन में भारत को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने अध्यापक प्रशिक्षण के लिए संयुक्त रूप से व्यापक कार्यशालाएं आयोजित करने पर बल दिया।
निशंक ने कहा कि भारत विश्व जनसंख्या का लगभग 18 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए भारत के बिना कोई वैश्विक लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा भारतीय प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। हमारे छात्रों में योग्यता, अनुशासन और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि उन्हें सही दिशा और मार्गदर्शन मिले। उन्होंने निदेशक से परीक्षा को द्विभाषी बनाने का आग्रह किया ताकि अन्य देशों के प्रतिभागी भी विश्व स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
बैठक के दौरान श्लेचर ने कहा कि किसी भी देश में शिक्षा की बेहतरी के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और मीडिया को अधिक जागरूक और जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये तीन समूह किसी भी देश में शिक्षा के परिदृश्य को बदल सकते हैं। पीसा परीक्षा के संबंध में उन्होंने कहा कि हमें परीक्षा के पुराने पैटर्न को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें रट्टा मारने से बचना चाहिए विशेषकर गणित और विज्ञान में परीक्षा में अधिक व्यावहारिक प्रश्न पूछने की आवश्यकता है।