मुंबई। आर्थिक सुधार में तेजी लाने के लिए उद्योग क्षेत्र को झिझक छोड़कर बड़े पैमाने पर निवेश करने की जरूरत है। देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का माहौल है, ऐसे में उद्योग घरानों को सरकार का सहयोग करना चाहिए। यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मुंबई में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही।

निर्मला सीतारमण ने यह स्वीकार भी किया कि वर्तमान समय में देश की अर्थव्यवस्था उतनी तेज नहीं हो जितने का सरकार ने अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा कि सुस्ती के इस माहौल से उबरने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। सरकार के खर्च से आर्थिक वृद्धि में तेजी नहीं आ सकती है। इसके लिए उद्योग को आगे आकर सरकार की मददगार बनें। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए उद्योगों को निवेश बढ़ाना चाहिए।

बजट के बाद उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) में परिचर्चा के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार उद्योग के रास्ते को आसान बनाने का काम करेगी और जो भी समस्या होगी, उसे दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसेम्बल इन इंडिया प्रस्ताव पर विभिन्न सेक्टरों से चर्चा की जा रही है। क्षमता निर्माण के रूप में हम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि ‘मेक इन इंडिया’ अब हमारी प्राथमिकता नहीं है।

मुंबई में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में वृद्धि दर में आई सुस्ती से जुड़े सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। उन सभी मामलों में सरकार को प्रोत्साहन देने की जरूरत पड़ी थी। वित्तमंत्री ने कहा कि ग्रामीण और कृषि क्षेत्र का 16 सूत्रीय एजेंडे के जरिए ध्यान रखा गया है। स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। साथ ही बुनियादी ढांचा निवेश पर भी विशेष जोर है। राजकोषीय घाटे को भी नियंत्रित करने पर फोकस किया जा रहा है।

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