नई दिल्ली। पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से एक  जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मोदी सरकार के नोटबंदी को गलत बताया है। जस्टिस  नागरत्ना ने कहा कि केन्द्र सरकार के कहने पर सभी सीरीज के नोट को प्रचलन से बाहर कर दिया जाना काफी गंभीर विषय है।

नोटबंदी का फैसला केन्द्र सरकार की अधिसूचना के जरिए न होकर विधेयक के जरिए होना चाहिए था। ऐसे महत्वपूर्ण फैसलो को संसद के सामने रखना चाहिए था।

जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए रिकॉर्ड से ये साफ होता है कि रिजर्व बैंक द्वारा स्वायत्त रूप से कोई फैसला नहीं लिया गया।

सबकुछ केन्द्र सरकार की इच्छा के मुताबिक हुआ। नोटबंदी करने का फैसला सिर्फ 24 घंटे में ले लिया गया। केन्द्र सरकार के प्रस्ताव पर रिजर्व बैंक द्वारा दी गई सलाह को कानून के मुताबिक दी गई सिफारिश नही मानी जा सकती।

कानून में आरबीआई को दी गई शक्तियों के मुताबिक किसी भी करेंसी के सभी सीरीज को बैन नही किया जा सकता, क्योंकि सेक्शन 26(2)के तहत किसी भी सीरीज का मतलब सभी सीरीज नही है। केन्द्र सरकार का 08 नवंबर का नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था।

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