नई दिल्ली। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती हैं और उस पर सुरक्षा का धागा बांधकर पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.

10 जून का सूर्य ग्रहण एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किसी भी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. सूतक काल के दौरान भगवान की पूजा करना वर्जित माना जाता है.

चूंकि सूर्य ग्रहण और वट सावित्री व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं. ऐसे में वट सावित्री व्रत की पूजा और उपवास को लेकर कई महिलाओं के मन संदेह है. आइए जानते हैं कि क्या इस बार वट सावित्री व्रत पूजा करनी चाहिए.

इस बार का सूर्य ग्रहण भारत के केवल अरुणाचल प्रदेश में आंशिक तौर पर दिखाई देगा. इसलिए, हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाहित स्त्रियां वट सावित्री व्रत की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ कर सकती हैं.

वट सावित्री अमावस्या गुरुवार, 10 जून 2021
अमावस्या तिथि 9 जून 2021 दोपहर 01:57 से शुरू होकर 10 जून 2021 शाम 04:22 पर समाप्त होगी.
व्रत पारण तिथि- 11 जून 2021 शुक्रवार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो पत्नी इस व्रत को सच्ची श्रद्धा के साथ करती है, उसे न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पति के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना कथा सुना ये व्रत अधूरा माना जाता है. कोरोना महामारी के बीच, मंदिर जाना और पूजा करना मुश्किल है. ऐसे में आप अपने घर पर सिंदूर और हल्दी से मूर्तियां बनाकर पूजा कर सकते हैं.

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