भोपाल| मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वाले 90 प्रतिशत मरीज कोरोना वायरस और फेफड़ों में संक्रमण को मात देने में सफल रहे हैं। वही नकली इंजेक्शन बेचने वालों के खिलाफ जांच कर रही एमपी पुलिस भी इससे हैरान है। उनके लिए दुविधा यह बन आई है की वह सीएम के निर्देश के अनुसार आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला कैसे दर्ज करें क्योंकि मरीज तो ठीक हो चुके है।

जानकारी के अनुसार एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नकली इंजेक्शन लेने वाले 10 मरीजों की इंदौर में मौत हुई है जबकि 100 से ज्यादा मरीज ठीक हो गए। गुजरात से पकड़े गए आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्होंने इंदौर में करीब 700 और जबलपुर में 500 नकली इंजेक्शन बेचे थे। जिनकी मौत हुई, उनके शव को जला दिया गया। ऐसे में उनकी मौत को नकली इंजेक्शन से जोड़ना पुलिस के लिए मुसीबत बन गई है।

नकली इन्जेक्शन में थी ग्लूकोज
बता दे कि नकली इंजेक्शन की शीशियों में ग्लूकोज वाटर भरा गया था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों को इसकी पड़ताल करनी चाहिए कि ग्लूकोज वाटर से फेफड़ों का इंफेक्शन खत्म कैसे हो गया।

 

 

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