नई दिल्ली। कांग्रेस की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनंसख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना और द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने भाग नहीं लिया। बैठक में करीब 20 दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा मोदी सरकार के नए और प्रस्तावित कानून के साथ ही शिक्षण संस्थान परिसरों में हिंसा की घटनाओं पर विचार किया गया।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा शामिल हुए । कांग्रेस नेता राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल ने भी भाग लिया।

कांग्रेस पार्टी का प्रयास था कि मोदी सरकार के फैसलों और शिक्षा परिसरों में असंतोष को लेकर सभी विपक्षी दल संयुक्त रुप से अभियान छेड़े लेकिन प्रमुख दलों के बैठक में भाग न लेने से इस प्रयास को धक्का पहुंचा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि तृणमूल कांग्रेस नए कानून के खिलाफ अपने बलबूते अभियान चलाएगी। बसपा प्रमुख मायावती ने भी कांग्रेस पर राजस्थान में बसपा को तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के इस विश्वासघात के कारण उनकी पार्टी बैठक में भाग नही लेगी।

मायावती ने नागरिकता संशोधन कानून को विभाजन कारी करार देते हुए इसका विरोध किया। साथ ही उन्होने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में छात्रों का राजनीतिकरण करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस बैठक में भाग नही लिया। पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा कि उन्हें इस बैठक के बारे में कोई जानकारी नही है। इसलिए बैठक में भाग लेने का कोई सवाल ही नही है।

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