नई दिल्ली। देश में हो रहे छात्रों के विरोध, नागरिकता कानून, एनआरसी और मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा के लिए विपक्षी पार्टियां सोमवार को 2 बजे बैठक करेंगी। इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा प्रमुख मायावती शामिल नहीं होंगी।
ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते ट्रेड यूनियन की स्ट्राइक के दौरान वामदलों और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़पों की वजह से घोषणा की थी कि वह विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने कहा था कि मैंने ही विपक्ष को बैठक का विचार दिया। राज्य में जो हुआ, इसकी वजह से मेरे लिए अब बैठक में शामिल होना संभव नहीं है। एनआरसी-सीएए के खिलाफ सबसे पहले मैंने आंदोलन शुरू किया। सीएए-एनआरसी के नाम पर वामपंथी और कांग्रेस जो कर रहे हैं, वह आंदोलन नहीं, बल्कि बर्बरता है।
मायावती ने प्रियंका की पीड़ित परिवारों से मुलाकात को ड्रामा बताया था
मायावती ने भी हाल ही में राजस्थान में कोटा के एक अस्पताल में बच्चों की मौत के आंकड़ों को लेकर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस महासचिव बच्चों को खोने वाली माताओं से मिलने के लिए कोटा नहीं जाएंगी, तो उत्तर प्रदेश में पीड़ित परिवारों के साथ उनकी मुलाकात को राजनीतिक हित और ड्रामा ही माना जाएगा।
कई मुख्यमंत्रियों ने कहा- वे अपने राज्यों में सीएए-एनआरसी लागू नहीं करेंगे
पिछले महीने सीएए को लेकर विरोध कर रहे दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी। इसके बाद देशभर के यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसमें राजनीतिक दल भी शामिल हो गए थे। भाजपा ने सीएए को लेकर कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। ममता बनर्जी और कांग्रेस शासित राज्यों में कई मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे अपने राज्यों में सीएए या एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे। उधर, केरल के विधानसभा में सीएए को राज्य में पारित नहीं किए जाने संबंधी प्रस्ताव भी पास किया गया था।
सोनिया ने सीएए को विभाजनकारी कानून बताया था
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को नागरिकता कानून को एक भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून करार दिया था, जिसका उद्देश्य लोगों को धार्मिक आधार पर बांटना है। पार्टी ने सीएए को तत्काल वापस लेने और एनपीआर की प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी।