नई दिल्ली। सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक सहित कुल 27 नए पुराने विधेयकों पर विचार किया जाएगा।

अधिवेशन के एक दिन पूर्व रविवार को यहां संसदीय कार्यमंत्री की ओर से आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि सरकार सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए तैयार है। विपक्ष की ओर से मांग की गई कि जम्मू कश्मीर में नजरबंद किये गये राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला को लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जाए। कांग्रेस की ओर से यह भी मांग की गई कि तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य सभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जाए।

संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने विपक्ष की इस मांग के संदर्भ में कहा कि यह मामले न्यायपालिका के विचाराधीन हैं। कानून और नियम के दायरे में जो संभव होगा, वह सरकार करेगी।

भारतीय संविधान को अंगीकार किये जाने की 70वीं वर्षगांठ पर 26 नवम्बर को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में संसद के केंद्रीय कक्ष में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सहित सभी मंत्री और सांसद भाग लेंगे। इस कार्यक्रम के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि भारतीय संविधान एक आदर्श दस्तावेज है, जिसकी शक्ति के आधार पर भारतीय लोकतंत्र फलफूल रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की इस सफलता को दुनियाभर में मान्यता मिल रही है। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को एक आदर्श राजनीतिक प्रणाली के रूप में दुनियाभर में प्रचारित किये जाने पर भी जोर दिया।

शीतकालीन सत्र में असम पर केंद्रित नागरिकता संशोधन विधेयक पर भी चर्चा होगी। विपक्षी दल इस विधेयक का पुरजोर विरोध करते रहे हैं। संसदीय कार्यमंत्री ने इस विधेयक के बारे में कहा कि यह मुद्दा सरकार के एजेंडे में है।

शीतकालीन अधिवेशन में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध तथा करों में बदलाव संबंधी दो अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक भी लाए जाएंगे।

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह और विपक्ष की ओर से कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने भाग लिया।

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और राफेल मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दिये जाने के बाद संसद का यह पहला अविधवेशन है। विपक्ष इस दौरान देश में आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, दिल्ली में वायु प्रदूषण और कश्मीर के हालात के मुद्दे जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। महाराष्ट्र में सरकार गठन के संबंध में राज्यपाल की भूमिका को लेकर भी विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।

सत्तारूढ़ भाजपा के दशकों तक राजनीतिक सहयोगी रहे शिवसेना के सांसद इस बार लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष में बैठे नजर आएंगे। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना के सदस्यों को दोनों सदनों में विपक्ष की ओर स्थान आवंटित किये जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शनिवार को ऐसी ही सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। संसद का यह सत्र 13 दिसम्बर तक चलेगा।

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