अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वहां पारिजात (Parijat) का एक पौधा लगाया था। आम जनों के बीच हरसिंगार के नाम से जाना जाने वाला पारिजात यूं तो सदियों से भारतीयों के जीवन से जुड़ा है, लेकिन शहराती लोगों ने इसके बारे में नए सिरे से खोजबीन शुरू कर दी। जब पता चला कि वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाने वाला इस वृक्ष का पत्ता, फूल, जड़, छाल सभी कुछ औषधीय गुणों से भरपूर है, तो फिर क्या था, इसे लगाने के लिए लोग उतावले हो गए और नर्सरियों से इस पौधे का स्टॉक ही खत्म हो गया।

इस पौधे को लेकर पौराणिक कथा भी है

कहा जाता है कि जब देव और दानवों ने मिल कर समुद्र मंथन किया था, तो उससे जो दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे, उसमें पारिजात भी एक था। उस समय पारिजात के वृक्ष को इंद्र ने अपने पास रख लिया था और स्वर्ग लोक जाने के के बाद इसे अपने बगीचे में लगा दिया था। वहीं यह फला-फूला और इसकी सुगंध से देवता गण प्रसन्न रहते थे। देवराज इंद्र अपने खास मेहमानों को इसका फूल भेंट किया करते थे।

स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया है

पौराणिक मान्यताओं अनुसार पारिजात का पौधा स्वर्ग से लाकर धरती पर लाकर लगाया गया था। नरकासुर के वध के पश्चात एक बार श्रीकृष्ण स्वर्ग गए और वहां इन्द्र ने उन्हें पारिजात का फूल भेंट किया। वह फूल श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी रुक्मिणी को दे दिया। उनकी दूसरी पत्नी सत्यभामा को देवलोक में रहने वाली देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था। तभी नारदजी आए और सत्यभामा को पारिजात फूल के बारे में बताया कि उस फूल के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गई हैं। यह जान सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लाने की जिद करने लगी। उसके बाद ही श्रीकृष्ण इसे धरती पर लाये।

आंगन में गिरे तो शांति और समृद्धि का निवास

हरिवंश पुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है। इन फूलों को खासतौर पर भगवती और लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान इस फूल का विशेष महत्व है। लेकिन पूजा में केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। कहा जाता है कि यह फूल जिसके भी घर आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।

पाचनतंत्र संबंधी समस्या दूर होगी

क्या आप जानते हैं कि हरसिंगार का वृक्ष कई रोगों का इलाज भी कर सकता है? आयुर्वेद में इसके बारे में बताया गया है कि हरसिंगार का पौधा एक बहुत ही उत्तम औषधि है। हरसिंगार (पारिजात) के इस्तेमाल से आप पाचनतंत्र, पेट के कीड़े की बीमारी, मूत्र रोग, बुखार, लीवर विकार सहित अन्य कई रोगों में लाभ पा सकते हैं। इसके पत्ते को उबाल कर बनाया गया काढ़ा पीने से बरसों पुराना घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।

शुगर की प्रॉब्लम छूमंतर होगी

कहा जाता है कि मधुमेह या डायबिटीज लाइफस्टाइल से जुड़ा रोग है। आजकल लोग भोजन तो बेहद पौष्टिक करते हैं, लेकिन उस हिसाब से शारीरिक श्रम नहीं करते। इस वजह से अन्य रोगों के साथ साथ डायबिटीज भी आपके शरीर में घर बना लेता है। पारिजात के पत्ते डायबिटीज में बहुत लाभदायक होते हैं। पारिजात (parijat) के पत्ते का काढ़ा बना कर सेवन करने से डायबिटीज रोग में आश्चर्यजनक तरीके से लाभ होता है।

पेट के कीड़े भी मर जाते हैं

आयुर्वेद में इसे पेट के कीड़े मारने में भी सहायक बताया गया है। अभी का खानपान ऐसा है, जिससे बच्चे हों या वयस्क, सभी को कई बार पेट में कीड़े की समस्या हो जाती है। हरसिंगार के फायदे इस रोग में भी मिलते हैं। हरसिंगार के पेड़ से ताजे पत्ते तोड़ कर उसका रस निकाल कर उसे चीनी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इससे पेट और आंतों में रहने वाले हानिकारक कीड़े खत्म हो जाते हैं।

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