चेन्नई। फिल्म अभिनेता के रूप में प्रसिद्धि पाये रजनीकांत के पेरियार को लेकर दिये एक बयान के बाद राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार की सुबह कांचीपुरम जिले में ईवी रामास्वामी पेरियार की प्रतिमा क्षतिग्रस्त मिलने से तनाव फैल गया। कई राजनीतिक दलों ने इसकी निंदा की है। इसी बीच रजनीकांत की टिप्पणी को लेकर कुछ लोग मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गये लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगायी। पेरियार समर्थक रजनीकांत पर मांगी मांगने के लिए दबाव बना रहे हैं लेकिन रजनीकांत ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है।

शुक्रवार को पुलिस ने बताया कि कांचीपुरम जिले के सलावाक्कम में सुबह प्रतिमा क्षतिग्रस्त हालत में मिली है, जिससे इलाके में सनसनी मच गई। राजनीतिक नेताओं ने प्रतिमा की तोड़फोड़ की निंदा की है। पेरियार की मूर्ति क्षतिग्रस्त होने के संबंध में द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन और पीएमके संस्थापक एस रामदास ने घटना पर रोष जताते हुए इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। शुक्रवार को रजनीकांत की टिप्पणी को लेकर एक द्रविड़ संगठन ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने संगठन की याचिका खारिज करने के बाद याचिकाकर्ता को फटकार लगायी। कोर्ट ने कहा कि आप लोग हाई कोर्ट भागने की जगह मजिस्ट्रेट कोर्ट क्यों नहीं गये।

दरअसल, रजनीकांत ने 14 जनवरी को एक पत्रिका के वार्षिक कार्यक्रम में द्रविड़ आंदोलन के जनक कहे जाने वाले एम करुणानिधि और पेरियार को लेकर टिप्‍पणी की थी। सुपरस्‍टार ने कहा था कि पेरियार हिंदू देवताओं के कट्टर आलोचक थे लेकिन उस समय किसी ने पेरियार की आलोचना नहीं की। पेरियार ने हिंदू धर्म की कथित ‘कुरीतियों’ के साथ ब्राह्मणों का जमकर विरोध किया था। साथ ही उन्‍होंने दलित वर्ग के उत्‍थान के लिए भी आंदोलन किए। पेरियार ने द्रविड़ कझगम की स्‍थापना की थी। इस टिप्पणी के बाद पेरियार समर्थकों ने रजनीकांत से अपने बयान को वापस लेने और माफीनामे की मांग की थी। इसके बावजूद रजनीकांत ने माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि मैंने जो भी कहा वह सच पर आधारित है, इसलिए माफी मांगने का कोई सवाल नहीं है।

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