Prayagraj (UP) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं के मुजरिया थाने में 32 साल पहले दर्ज हुई रेप की घटना में आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है। लिहाजा, आरोपी जमानत पर हैं। उनके जमानत बंध पत्र को रद्द कर जमानतदारों को मुक्त करने को कहा गया है। इसके साथ ही उन्हें रिहा किया जाए। कोर्ट ने निचली अदालत के रिकॉर्डों को वापस भेजने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने आरोपी शमीम व दो अन्य की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।

वादी मुकदमा के अनुसार मुजरिया थाने में 14 नवम्बर 1991 को आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि भूमि विवाद में जब उसका पति बाहर गया था तो आरोपी शमीम अपने दोस्तो शफीक, खर्शीद और अशफाक के साथ 12-13 नवम्बर की रात उसे उसके घर से घसीट ले गए और गन्ने के खेत में बारी-बारी से रेप किया। सत्र न्यायालय ने आरोपियों को आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया और आरोपियों को बरी कर दिया।

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