मुंबई। साईं बाबा के समर्थकों ने महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले के खिलाफ जंग छेड़ दी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अपील को ठुकरा कर शिरडी ग्राम सभा ने रविवार को बंद कर रखा है। हालांकि साईं मंदिर खुला है। ऐसे में मंदिर में साईं के दर्शन के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं। मंदिर के बाहर अच्छी-खासी तादाद देखी जा रही है। कतार में खड़े होकर श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। शिरडी बंद के कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है और दुकानें बंद हैं।
सीएम की ओर से साईं जन्मभूमि पाथरी शहर के लिए विकास निधि के ऐलान के बाद उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर साईं समर्थक इसे आस्था का सवाल मानकर लड़ाई लड़ने को तैयार हो गए हैं। शिरडी और पाथरी को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ने के आसार हैं। हालांकि इस बीच विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बातचीत की इच्छा जताई है।
मुख्यमंत्री के बयान से शिरडी के लोग नाराज
शिरडी में आज से आहूत अनिश्चितकालीन बंद का असर यहां साफ दिखाई दे रहा है। साईं भक्तों का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रही है। शिरडी में ग्रामीणों और ट्रस्ट से जुड़े लोगों के बीच कई दौर की बैठकों के बाद ये फैसला किया गया है। साईं मंदिर के पूर्व ट्रस्टी अशोक खांबेकर ने कहा कि साई बाबा ने अपने जन्म व धर्म के बारे में किसी को नहीं बताया। वे सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे। उद्धव ठाकरे की ओर से गलत जानकरी दी गई। उन्होंने मुख्यमंत्री को साई सत चरित्र के अध्ययन की सलाह दी। भाजपा नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि बन्द को भाजपा का पूरा समर्थन है। मुख्यमंत्री को साईं बाबा के पाथरी में जन्मस्थान होने के बयान को वापस लेना चाहिए।
पैकेज का ऐलान
साईं के जन्म स्थान को लेकर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन 9 जनवरी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी को साईं के जन्म स्थान की हैसियत से विकसित करने के लिए 100 करोड़ के पैकेज का ऐलान कर दिया। इसके बाद से ही ये विवाद भड़क गया है । उद्धव से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पाथरी को लेकर ऐसा ही ऐलान किया था। 2018 में साईं समाधि शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने पहुंचे राष्ट्रपति ने कहा था, ‘पाथरी साईं बाबा का जन्म स्थान है। मैं पाथरी के विकास के लिए काम करूंगा।’
उल्लेखनीय है कि साईं बाबा के बारे में जानकारियां बहुत सीमित हैं। यहां तक कि उनके धर्म और परिवार के बारे में भी लोगों के अपने-अपने दावे हैं। साईं बाबा की जन्म स्थली पाथरी में होने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, जबकि शिरडी साईं की कर्मभूमि है। दोनों की अपनी-अपनी अहमियत है। शिरडी निवासी अपनी कमाई बंटने के डर से पाथरी का विरोध कर रहे हैं। परभणी जिले के पाथरी में साईं बाबा के जन्म स्थान के नाम पर मंदिर बन गया तो देश भर से आने वाले साईं भक्तों का एक हिस्सा उधर भी सिर झुकाने पहुंचेगा और शिरडी में बरसने वाली इस दौलत पर भी असर पड़ेगा। आस्था के नाम पर छप्पर फाड़कर बरसती इसी दौलत का तकाजा है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भी साईं के खिलाफ धर्मयुद्ध छेड़ रखा था।