कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बीच 25 मई से नौतपा की शुरुआत होने जा रही है जो 3 जून तक चलेगा. इन 9 दिन की अवधि में सूर्य अपने सर्वोच्च ताप में होता है. इसलिए गर्मी भी अपने चरम पर होती है. साथ ही इस अवधि में आगामी मानसून की स्थिति के बारे में पता चलता है कि इस साल मानसून कैसा रहने वाला है. आइए जानते हैं कि नौतपा इतना महत्वपूर्ण क्यों है, और ज्योतिषविदों इसे लेकर क्या कहते हैं…
सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है. इन दिनों सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है. इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा. लेकिन शुरुआती 9 दिनों में गर्मी बहुत बढ़ जाती है. इसलिए इन 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है. जानकारी के अनुसार, 25 मई के दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 8 जून की सुबह 6 बजकर 40 मिनट तक रहेंगे. गणनाओं के अनुसार इस बार नौतपा में गर्मी और उमस के साथ आंधी और बारिश भी देखने का मिलेगी.
ज्योतिषविदों ने नौतपा के शुरुआती तीन दिनों में भीषण गर्मी पड़ने के संकेत दिए हैं. लेकिन नौतपा के आखिरी दिनों में आंधी-बारिश के चलने के आसार भी बने हुए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस साल मानसून सामान्य से अच्छा रहने की संभावना है. यानी इस साल सामान्य से भी अच्छी देखने को मिलेगी.
हिंदू धर्म में सूर्य देवता का विशेष स्थान है. नौतपा का वर्णन श्रीमद्धागवत गीता में भी किया गया है. ऐसी मान्यता है कि जब ज्योतिष की रचना हुई तभी से नौतपा चला आ रहा है.
खगोल विज्ञान के मुताबिक, नौतपा में सूर्य की किरणें धरती पर एकदम सीधी पड़ती हैं, जिससे तापमान में वृद्धि होती है और मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने लगता है. ये निम्न दबाव का क्षेत्र समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है. जिसके कारण ठंडी हवाएं, तूफान और बारिश के आसार रहते हैं. इस दौरान हवाएं चल सकती है, लेकिन बारिश नहीं होनी चाहिए. बारिश मानसूनी गतिविधियों को कम कर देती है लेकिन अगर बारिश नहीं होती है तो मानसून अच्छा रहता है.