हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन की बागडोर त्रावणकोर राजपरिवार के हाथ में सौंपी है। राज परिवार ने तय किया है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर का 7वां तहखाना नहीं खोला जाएगा। मतलब साफ है, इस तहखाने में कितने रहस्य हैं, ये सब राज ही रह जाएगा।
करीब एक लाख करोड़ की संपत्ति वाला पद्मनाभस्वामी मंदिर अकेला नहीं है, जो अपने खजाने के लिए चर्चा में है, केरल से कर्नाटक तक ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने खजाने के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं।
सबसे ज्यादा खोज विजयनगर साम्राज्य के खजाने की है, जो कर्नाटक के हम्पी से लेकर तेलंगाना के हैदराबाद तक के जंगलों में खोजा जा रहा है। किवदंतियां हैं कि विदेशी आक्रमणकारियों से बचने के लिए राजा कृष्णदेवराय ने अपना खजाना कहीं छिपा दिया था, जो लगभग 2500 टन सोने का है।
इसके बारे में कुछ सरकारी रिपोर्ट्स में भी दावा किया गया है। ऐसे दावों के बाद हैदराबाद के श्रीसैलम् पर्वत और नेल्लामाला पर्वत के जंगलों में सरकार ने रात के समय जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, फिर भी लोग रातों को चोरी-छीपे जाते हैं। दो साल पहले यहां दो ट्रेजर हंटर्स की मौत भी हो चुकी है।
हैदराबाद के पास श्रीशैलम् पहाड़ियों पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। माना जाता है कि यहां विजयनगर साम्राज्य का खजाना है। जो लगभग 2500 टन सोने में है। यहां की नेल्लामाला पर्वत श्रंखला में भी कई ट्रेजर हंटर्स सक्रिय है। 2018 में यहां जंगलों में 2 से 3 ट्रेजर हंटर मारे गए थे।
हम्पी में ऐसे नजारे आम होते हैं। यहां अक्सर ट्रेजर हंटर्स मंदिरों के आसपास रात के समय खुदाई करने आते हैं।
हम्पी का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। बेल्लारी से हम्पी तक 4100 हेक्टेयर की भूमि पर 1600 से ज्यादा पुरातात्विक महत्व के स्मारक हैं। इन्हीं स्मारकों में कहीं विजयनगर का खजाना भी छिपा होने की मान्यता है। कई ट्रेजर हंटर गैंग यहां इन स्मारकों को नुकसान पहुंचा चुके हैं। कई मूर्तियां और एक सैकड़ों साल पुरानी नंदी प्रतिमा को नुकसान पहुंचा चुके हैं। यहां सुरक्षा के लिए गार्ड्स हैं लेकिन ये गैंग इतने शातिर हैं कि सारी सुरक्षा के बावजूद इन स्मारकों में खजाना खोजने पहुंच जाते हैं।

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