-हर घर में बजते हैं शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत

बेगूसराय। बिहार की साहित्यिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में चर्चित बेगूसराय तमाम क्षेत्रों में आगे है। साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में बेगूसराय के कलाकारों ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। इनमें से ही एक हैं बेगूसराय की बहू, जिनके गाए छठ गीत छठ का पर्याय बन चुका है और भारत ही नहीं विदेशों में भी उसकी धूम मच रही है। आज भले ही दर्जनों गायक छठ गीत तैयार कर रहे हैं। लेकिन उसके भाव और मूल में बेगूसराय की बहू द्वारा गाए गए छठ गीत ही हैं।
हम बात कर रहे हैं बिहार कोकिला नाम से विख्यात शारदा सिन्हा की। बेगूसराय जिला के सिहमा की बहू शारदा सिन्हा भले ही समयाभाव के कारण साल में दो-चार बार ही बेगूसराय आ पाती हों लेकिन वे यहां के लोगों के जेहन में बसी हैैं तथा छठ आते ही सबसे पहला नाम उनका ही आता है। शारदा सिन्हा के छठ और विवाह गीत मिथिला, मगध और भोजपुर सभी जगहों की महिलाएं पूरे श्रद्धाभाव से गाती हैं।
कैसेट के जमाने से लोगों के दिलों दिमाग पर छाई शारदा सिन्हा के गाने इस डिजिटल युग में भी बड़े पैमाने पर यू-ट्यूब और गूगल पर देखे-सुने जाने के साथ फेसबुक और व्हाट्सएप पर भी शेयर किए जा रहे हैं। 2001 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत जहां कहीं भी छठ होता है वहां पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ गाए जाते हैं। वह भारत का कोई हिस्सा हो या विदेशों का। सब जगह उनके गीत ‘केलवा के पात पर उगलन सुरुज देव, मारबउ रे सुगवा धनुष से, आठ ही काठ के कोठरिया हो दीनानाथ’ आदि जरूर धूम मचाती है।
जब छठ के समय गीतों का इतना प्रचलन नहीं था, सिर्फ विंध्यवासिनी देवी एक-दो गीत सुनने को मिलते थे, तब 1978 में शारदा सिन्हा ने पहली बार ‘उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर’ छठ गीत रिकॉर्ड किया था, लेकिन किसी कैसेट कंपनी ने रुचि नहीं ली। काफी अनुरोध के बाद तथा कैसेट नहीं बिकने पर क्षति की भरपाई करने का आश्वासन देने बाद एचएमवी कैसेट कंपनी ने कैसेट बनाया। वह कैसेट इतना छा गया कि खुद कंपनी वाले लगातार गीत रिकॉर्ड करने का अनुरोध करने लगे। जिसके बाद शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए 70 से अधिक छठ गीत शारदा सिन्हा और छठ के पर्याय बन चुके हैं। कार्तिक आते ही जब गांव में छठ गीत बजना शुरू होता है तो सबसे पहले शारदा सिन्हा का गाना धूम मचाता है और लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं।
छठ और विवाह गीत के अलावा हिंदी लोक उत्सव सामा चकेवा आदि केेेे गीत भी शारदा सिन्हा ने इतनी बखूबी से गाया है कि लोग बार-बार सुनते हैं। फिल्म मैंनेेेे प्यार किया का गाना ‘कहे तोह से सेना तोरी सजनीयांं’ आज भी लोगोंं की जुबान पर है। प्रवासी भारतीय विवेक भारद्वाज कहते हैं कि इस बार तो मैं छठ पर अपने गांव आया हूं, लेकिन ब्रिटेन में छठ के समय एक महीना पहले से ही शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत भारतीय लोगों के घर-घर में बजाए और सुने जाते हैं।

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