Varanasi. ASI टीम ने सर्वे के सातवें दिन ज्ञानवापी परिसर से कुछ जरुरी साक्ष्य जुटाए। इसके लिए वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व विभाग के साइंटिफिक सर्वे के लिए बुधवार को टीम सुबह 8 बजे पहुंची। इससे पहले मंगलवार को ASI की टीम ने नंदी के सामने स्थित व्यास जी के तहखाने से जरूरी साक्ष्य जुटाए गए।
- ASI टीम ने सर्वे के 7वें दिन ज्ञानवापी परिसर में जुटाए अहम साक्ष्य
इसमें दोनों पक्षों का सहयोग मिल रहा है। अब यह भी बताया जा रहा है कि शुक्रवार से जीपीआर तकनीक के जरिए सर्वे शुरू हो सकता है। इसके लिए कानपुर से आईआईटी की एक्सपर्ट टीम को भी वाराणसी बुलाया गया है। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से सर्वे शुक्रवार से शुरू होने की संभावना है। इस दौरान पहले चरण में दस से अधिक स्थानों पर मशीन को लगाया जाएगा। उसके परिणाम के बाद नए स्थानों का चयन किया जाएगा।
हालांकि आईआईटी कानपुर की विशेषज्ञों की टीम बुधवार की रात तक वाराणसी पहुंच सकती है। एएसआई ने आईआईटी कानपुर से ज्ञानवापी सर्वे में आधुनिक रडार मांगा है। रडार सर्वे में ज्ञानवापी परिसर का नए सिरे से अध्ययन किया जाएगा। जीपीआर की मदद से खोदाई के बगैर जमीन के नीचे का सच जाना जा सकता है। एएसआई की टीम ने डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) और ग्लोबल नेविगेशन सैटलाइट सिस्टम का प्रयोग करते हुए तहखाने के नीचे की संरचना की जानकारी जुटाई। इस बीच कानपुर आईआईटी से भी एक्सपर्ट्स की टीम को बुलाया गया है। जो कि जीपीआर तकनीक के माध्यम से जांच में एएसआई की मदद करेंगे।
इसके पहले मंगलवार को ASI की टीम ने मुख्य गुंबद की नाप-जोख के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से जांच की गई। बताया जा रहा है कि व्यास जी के तहखाने के नीचे से जो संरचना प्राप्त हुई है वह मस्जिद से पहले की है। जिसकी ऊपरी सतह की जांच होने के बाद टीम नींव की जांच करेगी। इस बीच मुस्लिम पक्ष की तरफ से हिंदू पक्ष पर आरोप लगाया गया कि मीडिया में बेवजह बयानबाजी की जा रही है। इसके साथ ही अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने कोर्ट से सर्वे के मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने अब तक हुए ASI सर्वे को संतोषजनक बताते हुए कहा कि उनकी तरफ से पूरा सहयोग देने की बात कही जा रही है।