नई दिल्ली: दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद में पलायन की एक अलग तस्वीर सामने आई है. जिले के प्रताप नगर इलाके में 50 से ज्यादा लोगों ने अपने घरों के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ का बोर्ड लगाकर इलाके से पलायन करने का फैसला किया है. असल मे गाज़ियाबाद का प्रताप नगर मोहल्ला, गाज़ियाबाद पुलिस लाइन के दूसरी तरफ स्थित है. प्रताप नगर और पुलिस लाइन के बीच मे एक सड़क निकलती है, जो पुलिस लाइन से होते हुए मुख्य सड़क पर जाती है. गाज़ियाबाद पुलिस ने बीते एक वर्ष से ज्यादा समय से इस सड़क को बन्द कर रखा है. इसकी वजह से करीब 300 मीटर की दूरी के लिए अब लोगों को साढ़े 3 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है.

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कोरोना संक्रमण की वजह से लगे पहले लॉकडाउन पर पुलिस ने इस रास्ते को बंद किया था. जिसे आज तक नहीं खोला गया है. बीते एक साल से स्थानीय निवासी गाज़ियाबाद पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर रास्ता खोलने की मांग कर चुके हैं. इसके बावजूद पुलिस -प्रशासन के किसी भी अफसर पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

रास्ते को खुलवाने के लिए मोहल्ले के 60 से ज्यादा लोगों ने इसी साल 24 जून को बंद सड़क पर बैठ कर धरना दिया था. इसके बावजूद पुलिस ने उनकी दिक्कतों को समझने और उसका निवारण करवाने के बजाय उल्टा मोहल्ले के लोगों के खिलाफ ही संगीन धाराओं में FIR दर्ज कर ली. जब लोगों के पास अपनी सुनवाई का कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्होंने इलाके से पलायन का फैसला ले लिया. जिससे उन्हें रोजाना के इन झंझटों से मुक्ति मिल सके.

लोगों ने कोर्ट में दायर की याचिका
जानकारी के मुताबिक पुलिस-प्रशासन की ओर से निराश हो चुके लोगों ने अब इंसाफ पाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली है. प्रताप नगर के लोगों ने 15 जुलाई को इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है. जिस पर अभी सुनवाई होनी है. गाज़ियाबाद शहर के एसपी निपुन अग्रवाल ने मामले की जांच कराने की बात कहकर कोई स्पष्ट जवाब देने से इनकार कर दिया. वहीं गाज़ियाबाद के क्षेत्राधिकारी (नगर) डीएसपी महिपाल सिंह ने मामला न्यायालय में होने के कारण देकर कोई बात कहने से मना कर दिया.

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