बेंगलुरु। राष्ट्रीय स्वसंवेक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जी जोशी ने सोमवार को यहां कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से संबंधित राज्यों की चिंताओं को लेकर उनसे बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

सीएए पर एक सवाल का जवाब देते हुए जोशी ने कहा कि देश में नेताओं ने इस राष्ट्रीय मुद्दे को राजनीतिक मुद्दे में बदल दिया है। सभी राजनीतिक दलों को इस पर अपनी गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर कुछ नेताओं ने असमंजस फैलाने की कोशिश की है। अव्यवस्था फैलाने वाले यह लोग जनता को गुमराह करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर सभी को एकजूट होकर प्रसास करना चाहिए।

संघ की बेंगलुरु के जनसेवा विद्या केंद्र में 15 से 17 मार्च तक होने वाली प्रतिनिधि सभा के स्थगित होने के बाद आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने बताया कि संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हुई। इसमें तीन प्रस्ताव पारित किये गए। सोमवार को जनसेवा विद्या केंद्र में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि संघ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि मजबूरी के चलते सभा को स्थगित किया गया है। इससे पहले वर्ष 1975, 1976 और 1992 में यह सभा रद्द हुई थी।

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में तीन प्रस्ताव पारित किये गए जिनमें श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण-राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक, नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, भारत का नैतिक व संवैधानिक दायित्व और भारतीय संविधान को जम्मू-कश्मीर राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने एवं राज्य के पुनर्गठन का निर्णय स्वागतयोग्य कदम हैं। संघ देश भर में लगभग अस्सी हजार गांवों में काम कर रहा है। 39,000 स्थानों पर उसकी रोजाना चलने वाली शाखाएं हैं जबकि लगभग 62,500 स्थानों पर साप्ताहिक और मंथली रूटीन शाखाएं हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल संघ की शाखाओं में 3000 की वृद्धि हुई है।

भैय्याजी जोशी ने कहा कि रामजन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण का फैसला दिया है जिसका संघ स्वागत करता है। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए शहीदों के बलिदान को भी उद्धृत किया। संघ ने अनुच्छेद 370 पर संसद के उस कदम का स्वागत किया है जिसने अनुच्छेद 35ए को निरस्त कर दिया है, जो राज्य के विकास में बाधक था और भारत के संविधान के विचार के विरुद्ध था। संघ ने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों (नागरिक, हिंदू, पारसी, ईसाई, बुद्ध, सिख, जैन) को धार्मिक रूप से सताए जाने में मदद करता है, का स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि संघ ने 18-22 आयु वर्ग के लगभग 1 लाख युवाओं और 20-35 के एक अन्य समूह की पहचान की है, जो राष्ट्र के लिए काम करने की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि संघ ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लगभग 15 लाख लोगों का सर्वेक्षण किया है। संघ इन लोगों को अगले 2-3 वर्षों में सामाजिक कार्यों और सद्भाव में संलग्न करने की योजना भी लेकर आ रहा है। जल, वृक्ष और प्लास्टिक तीन ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें आरएसएस ने काम करने की दिशा दी है। संघ पानी बचाओ, पौधरोपण बढ़ाओ और प्लास्टिक का बहिष्कार करो के सूत्र पर काम कर रहा है।

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु :
* पहला प्रस्ताव
संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय से सम्पूर्ण राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप अयोध्या में श्रीराम जन्मस्थान पर भव्य मंदिर के निर्माण की सब बाधाएं दूर हो गई हैं। राम जन्मस्थान के संबंध में 9 नवंबर 2019 को दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय न्यायिक इतिहास के महानतम निर्णयों में से एक है। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय का हार्दिक अभिनंदन करता है।

* सन् 1528 से निरंतर चले इस संघर्ष में लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिये। सन् 1950 से प्रारंभ हुआ न्यायिक संघर्ष और 1983 से प्रारंभ हुआ जन-आंदोलन निर्णायक स्थिति प्राप्त करने तक सतत चलता रहा। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल उन सभी ज्ञात-अज्ञात बलिदानियों का इस अवसर पर पुण्यस्मरण करना व श्रद्धांजलि देना अपना पावन कर्तव्य समझता है।

दूसरा प्रस्ताव भारतीय संविधान को जम्मू-कश्मीर राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने एवं राज्य के पुनर्गठन का निर्णय ऐतिहासिक है। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, राष्ट्रपति के संवैधानिक आदेशों द्वारा भारतीय संविधान को जम्मू-कश्मीर राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने तथा तदुपरांत संसद के दोनों सदनों के अनुमोदन के पश्चात् अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के निर्णय का स्वागत करता है।

* अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए केंद्र सरकार एवं राष्ट्रहित में समर्थन देकर अपनी परिपक्वता का परिचय देनेवाले सभी राजनैतिक दलों का अभिनन्दन करता है। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का मत है कि हाल ही में लिये गए निर्णय एवं उनके क्रियान्वयन से ऊपर उल्लेखित संवैधानिक तथा राजनैतिक विसंगतियाँ समाप्त हो जाएंगी।

तीसरा प्रस्ताव नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019- भारत का नैतिक व संवैधानिक दायित्व है जिस पर संघ का अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, पड़ोसी इस्लामिक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में पांथिक आधार पर उत्पीड़ित होकर भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाइयों को भारत की नागरिकता देने की प्रक्रिया की जटिलताओं को समाप्त कर सरल बनाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पारित करने पर भारतीय संसद तथा केंद्र सरकार का हार्दिक अभिनंदन करता है।

संवाददाता सम्मलेन में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर और सुनील अम्बेकर भी उपस्थित थे।

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