नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में कहा कि राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में न्यू इंडिया का विजन पेश किया है। गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी दलों के नेताओं ने चर्चा में हिस्सा लिया और अपनी बात रखी है। सदस्यों ने केंद्र के कुछ फैसलों का जिक्र करते हुए यह भी सवाल उठाए कि सरकार को इतनी जल्दी क्या है। उन्होंने कवि सर्वेश्वर दयाल का पाठ करते हुए ‘लीक पर वे चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा पर बनें ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं।’

मोदी ने कहा कि आज सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि सरोकार भी बदला है। अगर ये सरकार भी पूर्व की सरकारों की तरह चलती तो शायद 70 साल के बाद भी इस देश से अनुच्छेद-370 नहीं हटता, मुस्लिम बहनों को तीन तलाक का दंश झेलना पड़ता, नाबालिग यौन शोषण मामले में फांसी की सजा नहीं होती और राम जन्मभूमि विवादों में रहती। इतना ही नहीं, करतारपुर कॉरिडोर नहीं बनता और न भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद खत्म होता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि देश चुनौतियों से लोहा लेने के लिए हर पल कोशिश करता रहा है। उन्होंने विपक्षी दलों की पूर्व की सरकारों पर तंज कसते हुए कहा कि कभी-कभी चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी है। आज भारत से दुनिया को जो अपेक्षाएं हैं हम अगर उन चुनौतियों को चुनौती देने की हिम्मत नहीं दिखाते और सबको साथ लेकर चलने की गति नहीं दिखाते, तो हमें लंबे अरसे तक समस्याओं से जूझना पड़ता। यही कारण है कि दुनिया की अपेक्षाएं हमसे बढ़ी हैं।

मोदी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने जिस तेजी से काम किया है, उसी का परिणाम है कि देश की जनता ने इसे देखा और देखने के बाद, उसी तेज गति से आगे बढ़ने के लिए हमें फिर से सेवा का मौका दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तेज गति की ही देन है कि 37 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट इतनी जल्दी खुले। अगर सरकार तेजी से काम नहीं करती तो 11 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय न बनते। 13 करोड़ गरीब लोगों के घर में गैस का चूल्हा नहीं पहुंचता और गरीबों के लिए दो करोड़ नए घर नहीं बनते। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की तेज गति से ही लंबे समय से अटकी दिल्ली की 1,700 कॉलोनियों को नियमित करने का काम पूरा हो सका।

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में किए विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर में पिछले पांच वर्ष में जो दिल्ली उन्हें दूर लगती थी, वहीं आज दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई है। बिजली, रेल, हवाई अड्डा, मोबाइल कनेक्टिविटी इन सुविधाओं को पहुंचाने और पूरा करने का काम किया गया है। बोड़ो समझौते का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं हुआ लेकिन पहले जो कुछ भी हुआ, राजनीति के तराजू से तौलकर किया गया, जो भी किया आधे-अधूरे मन से किया गया। पहले समझौते तो हुए, फोटो भी छप गई लेकिन कागज पर किए समझौते से बोड़ो जनजाति के लोगों का भला नहीं हुआ। इस बार के बोड़ो समझौते में सभी हथियारी ग्रुप साथ आए हैं। मोदी ने कहा कि इस समझौते में साफ लिखा गया है कि अब बोड़ो की कोई मांग बाकी नहीं रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में आज नई सुबह भी आई है, नया सवेरा भी आया है और नया उजाला भी आया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के आने से पहले कृषि मंत्रालय का बजट 27 हजार करोड़ रुपये था, अब इसे करीब पांच गुना बढ़ाकर लगभग 1.5 लाख करोड़ तक हमने पहुंचाया। उन्होंने कहा कि डेढ़ गुना एमएसपी का विषय लंबे समय से अटका था, ये किसानों के प्रति हमारी जिम्मेदारी थी कि हमने उसे पूरा किया। वर्षों से लटकी करीब 99 सिंचाई परियोजनाओं पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करके पूरा किया और अब किसानों को उसका लाभ मिल रहा है। साथ ही पीएम फसल बीमा योजना से किसानों में एक विश्वास पैदा हुआ है। इस योजना के अंतर्गत किसानों से करीब 13 हजार करोड़ का प्रीमियम आया लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ, उसके लिए किसानों को करीब 56 हजार करोड़ इस बीमा योजना से प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़े और लागत दर कम हो, ये हमारी प्राथमिकता है।

मोदी ने कहा कि हमारे देश में पहले 7 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई, जबकि हमारे कार्यकाल में 100 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई। उन्होंने कहा कि हमने समस्याओं का समाधान खोजने का लगातार प्रयास किया और उसी का परिणाम है कि अर्थव्यवस्था में राजकोषीय घाटा बना रहा। महंगाई नियंत्रित रही है और वृहद आर्थिक स्टेबिलिटी भी बनी रही है। हमारा विज़न, ज्यादा से ज्यादा निवेश, बेहतर बुनियादी ढांचा, वर्धित मूल्य वृद्धि और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर का निर्माण करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति मिले इसके लिए भी हमने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जनवरी 2019 से जनवरी 2020 के बीच छह बार जीएसटी राजस्व एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, अप्रैल-सितम्बर 2018 में 22 बिलियन डॉलर था। आज उसी अवधि में ये 26 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। मुद्रा योजना, मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने देश में स्वरोजगार को बहुत बड़ी ताकत दी है। देश में पहली बार करोड़ों लोग मुद्रा योजना से खुद तो रोजी-रोटी कमाने लगे हैं और दूसरों को भी रोजगार देने लगे हैं।

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