नई दिल्ली। देश की सड़कों से पुराने वाहन हटाने के लिए केन्द्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. लेकिन देशभर में अभी भी 2 करोड़ से ज्यादा पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं. पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा को इस बारे में विस्तृत जानकारी दी है.

पर्यावरण मंत्री अश्विनी चौबे ने सदन को जानकारी दी कि देश में 20 साल से पुरानी सबसे ज्यादा 39.48 लाख गाड़ियां कर्नाटक राज्य में है. इसके बाद दूसरे नंबर पर दिल्ली है जहां 36.14 लाख गाड़ियां 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं.

चौबे ने कहा कि पुरानी गाडियों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश और केरल भी ऊंचे पायदान पर हैं. उत्तर प्रदेश में 20 साल से ज्यादा पुरानी 26.20 लाख, केरल में 20.67 लाख, तमिलनाडु में 15.99 लाख और पंजाब में 15.32 लाख गाड़ियां हैं.

इस तरह देश में कुल 2.14 करोड़ ऐसी गाड़ियां हैं जो 20 साल से पुरानी हैं. उन्होंने कहा कि इसमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप के आंकड़े शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये राज्य केन्द्रीय ‘वाहन’ पोर्टल पर नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक आदेश दिया था. इसके हिसाब से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहन नहीं चल सकते. जबकि इसे लेकर NGT ने भी 2015 में नियम तय किए थे. ऐसे में ताज़ा जानकारी के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर 20 साल पुराने 36 लाख से ज्यादा वाहन कई सवाल खड़े करते हैं.

हालांकि, इस साल की शुरुआत में केन्द्र सरकार ने नई ‘वाहन स्क्रैप पॉलिसी’ पेश की है. इसमें पुरानी गाड़ियों के मालिकों को गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के बाद थोड़ा ज्यादा शुल्क देकर उसे चलाते रहने की अनुमति होगी. फिटनेस सर्टिफिकेट में फेल रहने वाली गाड़ियों को कबाड़ में भेजा जाएगा, जिस पर उन्हें निश्चित राशि का भुगतान किया जाएगा.

केन्द्र सरकार देश की सड़कों से पुरानी गाड़ियों को हटाना चाहती है. इसका मकसद पुराने वाहनों से ज्यादा होने वाले वायु प्रदूषण को कम करना है. साथ-साथ देश की इकोनॉमी को रफ्तार देना भी है.

हालांकि, लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में अश्विनी चौबे ने कहा कि पुरानी गाड़ियों से कितना प्रदूषण होता है, इसके लिए कोई एसेसमेंट नहीं किया गया है.

Show comments
Share.
Exit mobile version