इचाक। कम्युनिटी ट्रांसमिशन थर्ड स्टेज होती है। यह तब आती है जब एक बड़े इलाके के लोग वायरस से संक्रमित पाए जाते हैं कम्युनिटी ट्रांसमिशन में कोई ऐसा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है जो ना तो कोरोना वायरस से प्रभावित देश से लौटा है और ना ही वह किसी दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है। इस स्टेज में या पता नहीं चलता कि कोई व्यक्ति कहां से संक्रमित हो रहा है।
देश में अब गली मोहल्ले में कोरोना के संक्रमित हाल के दिनों में मिल रहे हैं। संक्रमित मित्रों की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। ना ही किसी संक्रमित से उसका सीधा संपर्क हुआ है। सामान्य फ्लू के लक्षण पर जब लोग सदर अस्पताल में जांच कराने पहुंचे तो डॉक्टरों ने कोरोना की जांच करने को कहा जांच में पॉजिटिव आई संक्रमित खुद हैरान है। उसका रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आया। नॉन डायबिटीज और बीपी के मरीज को कुछ पता नहीं चल रहा है कि वह संक्रमित कैसे रहे हैं। पत्रकार, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मी पहले से संक्रमित होते आ रहे हैं पर अब गृहिणी तकसंक्रमित हो रहे हैं। यही कम्युनिटी ट्रांसमिशन की लक्षण है। केंद्र सरकार और डब्ल्यूएचओ के चूक के कारण यह दुर्दिन देखने को मिल रहा है। डब्ल्यूएचओ के निर्देशानुसार सरकार को अप्रवासी मजदूरों को 1 माह पूर्व संक्रमित होने से पहले गृह राज्य लौटने का फरमान जारी करना चाहिए था। जो नहीं किया गया जब देश में 7 हजार क्रोना संक्रमित से पूर्ण लोक डॉन लागू किया गया प्रवासी मजदूर प्रदेशों में भूखे मरने लगे हाहाकार मच गया तब उन्हें वापस लाए गया। जब आज सात लाख के पार हैं 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तो लॉकडाउन में पूर्ण छूट दी गई है। यह अदूरदर्शिता का परिणाम है। इतिहास गवाह है। जनता कभी भूलती नहीं है।
अतः आम जनता से हाथ जोड़कर निवेदन है कि अपना सुरक्षा के लिए सामाजिक दूरी एवं मास्क का प्रयोग स्वयं करें अनावश्यक घर से कदापि ना निकले स्वयं सुरक्षित रहें।