रांची। राजधानी रांची सहित राज्य के 22 जिलों में ई- एफआईआर थाने खुलेंगे। इसे लेकर कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है। महिला और बाल अपराध, चोरी, सेंधमारी, नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी से संबंधित विशेष प्रकृति के केस अब बिना थाना गए दर्ज कराये जा सकेंगे। ऐसे मामलों से संबंधित एफआईआर सिटीजन पोर्टल या मोबाइल एप्प के जरिए दर्ज हो सकेंगी। इसके लिए रामगढ़ और खूंटी को छोड़कर बाकी के 22 जिलों में ई-एफआईआर थाने खुलेंगे।
अधिकारियों को ही ई-एफआईआर थाना के प्रभारी की अतिरिक्त कमान सौंपी जाएगी। अनुसंधानकर्ता भी अलग से नहीं होंगे। जिले के सभी थानों में पदस्थापित जूनियर पुलिस अफसर जो अनुसंधान कार्य करते हैं, उन्हें ही अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। कांड की गंभीरता के अनुरूप जिस स्थानीय थाना क्षेत्र से संबंधित कांड होगा, उसके डीएसपी या इंस्पेक्टर उसका सुपरविजन करेंगे।
कंपोजिट कंट्रोल रूम के लिए उपलब्ध बल में से ही दो कंप्यूटर के जानकार पुलिसकर्मी ई-एफआईआर थाना के कार्यों में सहयोग करेंगे। एसएसपी या एसपी ई-एफआईआर थाने के नियंत्री अधिकारी होंगे। ई-एफआईआर एक विकल्प है, बाध्यता नहीं। लोग थाने जाकर भी केस दर्ज करा सकते हैं।
जिस व्यक्ति को ई-एफआईआर दर्ज कराना है। वह समाधान पोर्टल पर लॉग-इन कर अपना आवेदन ई-साइन या डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से देना होगा। इसके बाद ही एफआईआर स्वीकार की जाएगी। दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्राथमिकी दिया कराने के लिए आवेदक का सत्यापित नाम और पता होना आवश्यक है।लोगों से समाधान पोर्टल या मोबाइल एप्प के जरिये मिली शिकायतों के आधार पर थाना प्रभारी ई-एफआईआर संबंधित धाराओं के तहत कांड दर्ज कर जिस क्षेत्र में घटना घटित हुई है, उसके पुलिस पदाधिकारी को अनुसंधान के लिए देंगे। कांड का अनुसंधान पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मोड में किया जाएगा।