लातेहार। सुनने में आश्चर्य लगेगा पर यह सच है। लातेहार के कई गांवों में मनुष्यों की तरह जानवरों को भी सप्ताह में एक दिन छुट्टी दी जाती है। छुट्टी के दिन जानवरों से कोई काम नहीं लिया जाता। वे पूरे दिन आराम करते हैं। जिले के अलग-अलग गांवों में मवेशियों की छुट्टी के लिए अलग-अलग दिन तय हैं। अधिकांश गांव में मवेशियों को छुट्टी या तो रविवार को रखी गई है या फिर गुरुवार को उन्हें छुट्टी दी जाती है। जिले के जालिम खुर्द, हरखा, मोंगर, ललगड़ी, आरागुंडी, पांडेयपुरा, पकरार समेत कई अन्य गांवों में रविवार को मवेशियों को छुट्टी दी जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने बहुत सोच-विचार के बाद ही ये नियम बनाए होंगे। ग्रामीण रामजीत सिंह, मनोहर उरांव, दिवाकर उरांव ने बताया कि यह परंपरा उनके गांव में बीते कई पीढ़ियों से चली आ रही है। ग्रामीणों ने कहा कि जिस प्रकार मनुष्य को आराम की जरूरत होती है। उसी प्रकार जानवरों को भी आराम की जरूरत है। लगातार काम करने से मवेशी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में पशुपालकों का धर्म है कि मवेशियों को भी सप्ताह में कम से कम एक दिन आराम करने का मौका दिया जाए। इसी परंपरा का पालन करते हुए वे हफ्ते में एक दिन मवेशियों को छुट्टी देते हैं।
पूर्वजों ने बनाया था नियम
लातेहार के पूर्व मुखिया प्रदीप सिंह ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने यह नियम बनाया था कि मवेशियों को हर सप्ताह कम से कम एक दिन की छुट्टी अवश्य दी जाए।यह परंपरा काफी अच्छी है। इसीलिए बरसात के दिन में भी जब खेती का कार्य चरम पर होता है, उसके बावजूद किसान छुट्टी के दिन अपने मवेशियों को खेती के कार्य में नहीं लगाते। इधर सप्ताह में एक दिन मवेशियों को छुट्टी देने की परंपरा को पशु विशेषज्ञ भी उचित मानते हैं ।
पशु चिकित्सक डॉक्टर प्रियरंजन ने कहा कि पशुओं को सप्ताह में एक दिन आराम देने की परंपरा काफी अच्छी है। जिस प्रकार लगातार काम करने से मनुष्य तनावग्रस्त हो जाता है, उसी प्रकार जानवर भी तनाव में आकर बीमार हो जाएंगे। इसीलिए यह परंपरा पशुओं को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाये रखने में मदद करती है। इसीलिए यह परंपरा काफी सराहनीय है।