बड़कागांव। बड़कागांव प्रखंड के मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े आबादी वाले बादम पंचायत के मृदुभाषी और मिलनसार स्वभाव के इस्लामिक विद्वान 85 वर्षीय हाजी कारी अजीम उल्लाह की निधन मंगलवर को हो गया। प्रखंड के मुस्लिम धर्मावलंबियों में इनके निधन की खबर फैलते ही शोक की लहर फैल गई। इनकी मृत्यु की खबर सुनते ही हाफिज अजीमुल्लाह को जानने वाले झारखंड बिहार से लोग इनकी जनाजे में शामिल होने के लिए सैकड़ों की संख्या में बादम गांव पहुँच गए। हाफिज अजीम उल्लाह के जनाजे की नमाज मुफ्ती मोहम्मद दिलशाद के द्वारा जोहर की नमाज के बाद बुधवार को बादम जामा मस्जिद के बाहर पढ़ी गई इनके जनाजे में हजारों की संख्या में क्षेत्र के और बाहर से आए लोग शामिल हुए। फिर उनको हरली हाई स्कूल स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। हाफिज अजीम उल्लाह अपने जीवन काल के 55 साल गरीब असहाय बच्चों को इस्लामिक शिक्षा देने में और इमामत मे लगा दी इनकी प्रारंभिक शिक्षा रांची स्थित कडरू मदरसे में हुई थी शिक्षा पूरी करने के बाद लगभग 2 वर्षों तक उसी कडरू मदरसे में शिक्षक के रूप में कार्य किए उसके बाद लगभग 10 वर्षों तक रामगढ़ जिला के चितरपुर के जामा मस्जिद में इमामत किए। फिर उनको लगा अपने पैतृक गांव बादम में इस्लामिक शिक्षा को आगे बढ़ाना है जिसके बाद बादम के जामा मस्जिद में लगातार 45 वर्षों तक इमामत के साथ-साथ क्षेत्र के गरीब और असहाय बच्चों को इस्लामिक शिक्षा देते रहें। हाफिज अजीम उल्लाह के विद्यार्थी रहे प्रखंड के मुस्लिम धर्मावलंबियों के एकमात्र मुफ्ती मोहम्मद दिलशाद ने कहा कि इनका निधन क्षेत्र के मुस्लिम धर्मावलंबियों को बहुत बड़ी हानि हुई है जिसकी भरपाई पूरी नहीं की जा सकती क्योंकि हाफिज अजीमुल्ला इस्लाम और कुरान के बहुत बड़े ज्ञानी थे। इनके विद्यार्थी रहे आज पूरे झारखंड में सैकड़ों हाफिज ए कुरान हैं। हाफिज अजीम उल्लाह के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में प्रखंड के ईलाकाई सदर हाजी तबस्सुम, बादम सदर मुकीत उल्लाह, मुखिया दीपक दास, चोबदार बलिया सदर मोहम्मद नईम, पसंस प्रतिनिधि राजा खान, वरिष्ठ कांग्रेसी अब्दुल्लाह साबरी, जमाल सगीर, शाहिद अख्तर, आरिफ अजीज के अलावा सैकड़ों लोग शामिल थे।
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