कटकमसांडी। विगत एक माह से नेशनल पार्क के जंगल व हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल क्षेत्राधीन झरदाग, कठौतिया, शाहपुर जंगल व महुदा पहाड़ में लगी आग को बुझाने में वन विभाग नाकाम है। रविवार को प्रखंड मुख्यालय के समीप हजारीबाग-कटकमसांडी मुख्य मार्ग के दोनों ओर करीब एक एक किमी. रेडियस में फैली आग से उत्पन्न धुआं से अंधेरा छाने जैसी स्थिति बन गई। जंगलों में लगे आग की मुख्य वजह चरवाहों और ग्रामीणों द्वारा महुआ चुनने के खातिर कर पतवार को जलाना बताया जा रहा है। मालुम हो कि भयंकर आग की लपटों के कारण जंगलों में लगे हजारों पेड़-पौधे बुरी तरह झुलस गए है। बता दें कि मैन पावर की घोर कमी के कारण कभी आग से तो कभी लकड़ी तस्करों से क्षेत्र के जंगलों का अस्तित्व खतरे में है।वनकर्मी वाल्टर बारला व गोपी पासवान ने बताया कि महुआ चुनने के खातिर ग्रामीणों द्वारा रोज कहीं न कहीं आग लगा दिया जाता है।
वनकर्मी एक ओर आग बुझाने में लगे होते हैं तो आग की लपटें दूसरी ओर धधकती नजर आती है। महुआ पेड़ों के आसपास खर पतवार में लगाए जा रहे आग की लपटों की चपेट में आने से अबतक करीब पांच सौ एकड़ की रेडियस लगे पेड़ पौधे झुलस गए हैं। आग से पेड़-पौधों, जड़ी बूटियों के साथ साथ जंगली जीव जंतुओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बताया गया कि एक ओर जंगलों की रखवाली के लिए मैन पावर की कमी है। वहीं दूसरी ओर, वन विभाग और गठित वन सुरक्षा समिति व इको वन विकास समिति की निष्क्रियता से जंगलों का वजूद मिटता दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि जबतक ग्रामीणों में वन सुरक्षा व संरक्षण को लेकर जागरूकता नहीं आती है, तबतक जंगलों की बर्बादी पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है। साथ ही, जंगलों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों पर कठोरतम कार्रवाई की आवश्यकता है।