गोड्डा।  झारखंड के गोड्डा जिले में इन दिनों अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दरअसल यहां लोगों को बिजली जमा करने के लिए अपनी भैंस और बकरी  तक बेचनी पड़ रही है. झारखंड में इन दिनों बिजली ऋण माफी योजना चल रही जिसके तहत सरकार 31 मई 2021 तक के बिल का ब्याज माफ (Relieving Interest) कर रही है. कई महीनों से चल रहे इस योजना में लगातार ग्रामीण बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. बता दें, 31 दिसंबर को ऋण माफी की अंतिम तिथि निर्धारित की गयी, जिस वजह से बिजली ऑफिस (Electricity Office) में लगातार लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. हालांकि, इससे पहले ऋण माफी की अंतिम तिथि 15 दिसंबर तक ही थी. दरअसल योजना का प्रचार-प्रसार अधिक नहीं हुआ था, इसलिए विभाग ने अंतिम तिथि बढ़ा दी थी. ऐसे में अब तारीख बढ़ते ही ग्रामीण ब्याज माफी का लाभ उठाने के  लिए अपने भैंस और बकरी तक को बेचकर बिजली बिल जमा कर रहे हैं.

बता दें, बिजली विभाग द्वारा ग्रामीणों को योजना का लाभ दिलाने के लिए पंचायत स्तर पर कैंप भी लगाया गया है, जिसमें ग्रामीण बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. ऐसे में आपके मन में जो सवाल आ रहा होगा कि जब ग्रामीण इतने दिनों तक बिजली बिल जमा नहीं कर पा रहे थे तो अब वे इतने पुराने बिल की इतनी मोटी राशि को आखिर कैसे जमा करेंगे? दरअसल ग्रामीण इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपनी जाम-पूंजी तक को बेच दे रहे हैं.

इस बारे में बिजली बिल जमा करने आए दिनेश यादव ने बताया कि वो ककना के रहने वाले हैं और उन्होंने 14355 रुपया बिल जमा किया. अब कितना माफ हुआ वह उन्हें नहीं पता पर उन्होंने बताया कि इस पैसे को जुटाने में उन्हें एड़ी चोटी एक कर दी. उन्होंने अपने घर की बकरियों को बेच कर यह पैसा लाया हैं और बिल जमा किया है. वहीं ककना के ही रहने वाले पप्पू यादव ने बताया कि उन्होंने 16400 रुपये का बिल जमा किया है, जिसके लिए मवेशी बेच पैसा जुटाया था. पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने अपना काडा(भैस का बच्चा) बेचा है, तब जा कर उन्हें पैसे मिले और और उन्होंने बिल जमा किया.

वहीं बिल जमा करने आए डुमरिया निवासी संजू मिस्त्री ने बताया कि पिछले 2 दिनों से वो बिल के चक्कर मे दौड़ रहे है, लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण वह बिल नहीं जमा कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अगले महीने रिश्तेदार के घर शादी है उसके लिए पैसा देना था लेकिन, अब उसे पैसे से बिल जमा करना है. उन्होंने बताया कि माफी योजना है तो यहां पैसा देना जरूरी हैं. बाकी जिंदगी तो आधे पेट भोजन कर भी चलाया जा सकता हैं.

क्यों आता है अधिक बिल

बिल अधिक आने को लेकर एक ग्रामीण ने बताया कि हर महीने ऊर्जा मित्र बिल देने गांव में आते ही नही हैं. यही कारण है कि बिल अधिक हो जाता हैं और उसपर सुध बढ़ता चला जाता है. अब ऐसे में ग्रामीणों को एक साथ मोटी राशि होने के बाद बिल मिलता है, जिसे एक बार में ग्रामीण देने में खुद असमर्थ बताते हैं.

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