लोहरदगा। झारखंड के लोहरदगा जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अखिलेश कुमार चौधरी की प्रताड़ना और भयादोहन के विरोध में आज राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक किशोर कुमार वर्मा द्वारा एक दिवसीय सांकेतिक सत्याग्रह (भूख आंदोलन) किया गया.
इस अवसर पर जिला सचिव पेंशनर समाज, जिला सचिव कर्मचारी महासंघ लोहरदगा तथा जिला प्रभारी भाकपा (माले) के महेश कुमार सिंह ने कहा कि किशोर कुमार वर्मा का ये आंदोलन सिर्फ सत्य के लिए था, लेकिन जिस दिन इन्हें प्रताड़ना और भयादोहन करना बंद नहीं किया जायेगा तो पूरे लोहरदगा जिले के सभी राजनितिक और शिक्षक तथा कर्मचारी संघठन एक साथ घेराव का कार्यक्रम करेंगे.
वक्ताओं ने कहा कि जो शिक्षक दूसरों को आईना दिखाता है. दूसरों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. राष्ट्र निर्माता के रूप मे नौनिहालों का भाग्यविधाता होता है. उनका सम्मान करना चाहिए और अंतिम समय में उनके ऊपर अत्याचार किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रमंडलीय अध्यक्ष अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के अजय कुमार सिंह ने कहा कि किशोर कुमार वर्मा ने 1994 मे शिक्षकों को एकजुट करने का काम किया था और आज अंतिम समय मे भी उन्होंने सभी शिक्षकों को एकजुट करने का काम किया है. प्रादेशिक प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सुमन ने शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा कि किशोर कुमार वर्मा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हैं और इनके साथ नाइंसाफी की जा रही है, जो निंदनीय और असहनीय है.
जिला अध्यक्ष मुमताज़ अहमद ने कहा कि किशोर कुमार वर्मा कॉलेज समय से आंदोलनकारी और संघर्षशील रहे हैं. जब कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष बने, कम उम्र में वार्ड कमिश्नर बने और शिक्षक बहाली में आमरण अनशन किया था और 88 शिक्षकों की बहाली करायी थी. आज भी अंतिम समय में आंदोलन करके एक मिसाल कायम कर रहे हैं. गुमला जिला की शिक्षिका सुषमा नाग ने कही कि ये लोहरदगा के लिए ही नहीं बल्कि पूरे झारखण्ड के लिए मार्गदर्शक हैं. बीजेपी जिला अध्यक्ष मनीर उरॉंव ने कहा कि एक राष्ट्रपति पुरस्कार शिक्षक को अनशन और अपने अधिकारों पेंशन इत्यादि कार्यों के लिए धरना देना पड़े वो भी झारखंड सरकार के वित्त मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में तो ये सरकार के लिए शर्म की बात है.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक किशोर कुमार वर्मा 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. इनका कहना है कि शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसमें मुख्य भूमिका जिला शिक्षा पदाधिकारी की है. इनके द्वारा शिक्षकों का भयादोहन किया जाता है. शिक्षकों को सरेआम बेइज्जत किया जाता है. बगैर पैसा के ये कोई काम नहीं करते हैं. ये मेरा सर्विस बुक नहीं दे रहे हैं.