हजारीबाग। जिंदगी का यही दस्तूर है, जो आया है, उसे जाना है। जाने की प्रक्रिया सबकी अलग-अलग होती है। कोई खुशी-खुशी चल जाते हैं तो कोई दुख की बौछार करते हुए अपनों से इतने दूर चले जाते हैं की कभी वापस नहीं लौटते। 73 उम्र के मुरारी लाल खंडेलवाल अपने आप में एक अलग पहचान बनाए हुए थे, समाज के प्रति एवं आम लोगों के प्रति एक अलग संवेदन रहती थी, जब भी कोई व्यक्ति इनके समझ समस्या को लेकर जाते थे उनकी समस्या को अपनी समस्या समझ कर निदान करने में लग जाते थे|
एक हफ्ते से आरोग्यम अस्पताल में इनका फेफड़ा, निमोनिया, सीने में इंफेक्शन जैसी बीमार का इलाज चल रहा था। डॉक्टर ने बताया कि मरीज ने अपनी तरफ से इस बीमारी से निजात पाने की काफी मशक्कत की थी लेकिन ऊपर वाले की मर्ज़ी के सामने किसी की नहीं चलती है। मुरारी लाल खंडेलवाल के जाने से क्षेत्रवासी बहुत दुखी हैं। इनके जाने की खबर जैसे ही समाज एवं हजारीबाग के लोगों को मिली तो इनके निवास स्थान में आने वालों की कतार लग गई। इनके जाने से हजारीबाग वासियों एवं खंडेलवाल समाज गहरा सदमा पहुंचा। मुरारी लाल खंडेलवाल अपने पीछे तीन बेटा एवं तीन बेटी छोड़ गए, बेटो ने मंत्र का उच्चारण कर नियम अनुसार इनका अंतिम संस्कार किया |