खूँटी। आज आदर्श बालिका उच्च विद्यालय, खूंटी के सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान तेजस्विनी की किशोरियों ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ उप विकास आयुक्त, सिविल सर्जन, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सी.डी.पी.ओ व अन्य अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। 

कार्यक्रम के दौरान उप विकास आयुक्त ने अपने सम्बोधन में बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव-गांव में स्तनपान के फायदे, सुरक्षित तरीके स्तनपान कराना आदि से संबंधित जानकारियां सहज रूप से उपलब्ध कराई जा रही है। विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि स्तनपान नवजात के स्वास्थ्य के लिए जीवन अमृत है। जन्म के तुरंत बाद से कराया जाने वाला स्तनपान ना सिर्फ उन्हें कई गंभीर रोगों से बचाता है बल्कि उनके संपूर्ण विकास की सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी है। इसलिए स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग अगस्त के पहले सप्ताह 1 से 7 अगस्त को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाने जा रहा है। ताकि नवजात स्वास्थ्य में स्तनपान की भूमिका के प्रति जागरूकता प्रदान कर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाया जा सके।

इसी कड़ी में सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि शिशु का स्वास्थ्य एक गम्भीर विषय है। हम सभी को ये समझने की आवश्यकता है कि किस प्रकार हम शिशु के उचित स्वास्थ्य को सुनिश्चित करें। इसके लिए सबसे अहम है स्तनपान।

आगे उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान स्तनपान कराते समय आपको कुछ सावधानियां का पालन करना चाहिए। अपने बच्चे को स्तनपान कराने से पहले, अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से धोना ना भूलें। अगर आप खुद कोविड पॉज़िटिव है, तो बच्चे को दूध पिलाने के लिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें। ब्रेस्ट पंप को किसी के साथ शेयर न करें और सुनिश्चित करें कि आप हर उपयोग के बाद पंप को अच्छी तरह से साफ करें। बच्चे को स्तनपान कराते समय मास्क का उपयोग अवश्य करें। इसके अलावा जब भी बच्चे के आसपास हो, तब भी मास्क अवश्य पहनें।

मौके पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नए जन्मे हुए बच्चे में नहीं होती है। यह शक्ति माँ के दूध से शिशु को हासिल होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्त्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं। माँ की आंत में वातावरण से पहुँचे रोगाणु, आंत में स्थित विशेष भाग के संपर्क में आते हैं, जो उन रोगाणु-विशेष के ख़िलाफ़ प्रतिरोधात्मक तत्त्व बनाते हैं। ये तत्त्व एक विशेष नलिका थोरासिक डक्ट से सीधे माँ के स्तन तक पहुँचते हैं और दूध के द्वारा बच्चे के पेट में। बच्चा इस तरह माँ का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है। इसलिए माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।

इसके अलावा कार्यक्रम के दौरान प्रमुख व उपप्रमुख द्वारा भी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जागरूक किया गया। उन्होंने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर जिले में विशेषजागरूकता अभियान चलाये गए है।  पोषण देश रौशन, सही समय पर स्तनपान कराने, पौष्टिक आहार आदि की जानकारियां दी गयी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह 2021 के आयोजन का उद्देश्य स्तनपान के लाभों और उसी के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है।

इसी कड़ी में विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इसमें पोस्टर प्रतियोगिता में कर्रा प्रखण्ड की नूतन देवी प्रथम स्थान, द्वितीय स्थान पर खूंटी सदर तेजस्विनी की किशोरियां एवं तृतीय स्थान पर खूंटी प्रखण्ड की आनन्दित घाम रहीं।

साथ ही पोषक आर्ट प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रनिया प्रखण्ड की तेजस्विनी की किशोरियां, द्वितीय स्थान पर तोरपा की तेजस्विनी की किशोरियां एवं तृतीय स्थान तेजस्विनी मुरहू की किशोरियों ने प्राप्त किया।

कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त द्वारा तेजस्विनी परियोजना की किशोरियों द्वारा लगाए गए राखी व हस्त निर्मित सजावट की सामग्रियों के स्टॉल का भी निरीक्षण कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के दौरान आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा नाटक का मंचन कर स्तनपान के फायदे व अन्य जानकारियां साझा की गई।

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