रांची। दीपावली के पावन पर्व पर भी राज्य के 65000 पारा शिक्षकों को वेतनमान का तोहफा नहीं दे पाने की स्थिति में सरकार की वादाखिलाफी चरित्र से क्षुब्ध होकर चक्रवाती तूफान के तर्ज पर आंदोलन का खाका तैयार करने का संकल्प लिया। उक्त बातें पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव सुखदेव हाजरा ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारों को बयान जारी कर कही।

उन्होंने कहा कि देश में नई शिक्षा नीति लागू होने की स्थिती में किसी भी राज्य में अनुबंध पर सेवा दे रहे अनुबंध कर्मियों पर तलवार लटक सकती है इसके लिए केंद्र सरकार ने भी गाइडलाइन जारी की है कि किसी भी कीमत में अस्थाई कर्मचारियों की बहाली नहीं की जानी है।

जो भी कर्मी किसी भी राज्य में अनुबंध पर सेवा दे रहे हैं उन्हें हर हाल में राज्य सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि उनकी सेवा को अविलंब स्थाई करें वरना उन्हें अपनी सेवा से विमुक्त होना पड़ सकता है।

मार्च 2022 से नई शिक्षा नीति लागू होने की प्रबल संभावना है तो उस वक्त सरकार अपने वायदे से मुकर जाएगी और केंद्र सरकार का हवाला देकर अपनी पिंड छुड़ा लेगी और अन्ततः पारा शिक्षकों को वेतनमान क्या मिलेगा उन्हें अपनी सेवा से सेवामुक्त होना पड़ेगा।

इसलिए आप तमाम पारा शिक्षकों से अपील है कि आंदोलन के लिए कमर कस लें यह सरकार भी पिछली सरकार की तरह दमनकारी नीतियों और सत्ता के नशे में चूर होकर पारा शिक्षकों की मर्यादा को कुचल देने में ही अपनी तारीफदारी समझ रही है।

जब देश के समृद्धशाली राज्य झारखंड में खनिज संपदाओं से परिपूर्ण है बावजूद झारखंड के पारा शिक्षक वेतनमान की सेवा शर्त नियमावली के लिए अन्य राज्यों की सेवा शर्त नियमावली के लिए भटकता रहे तो लानत है ऐसे राज्य सरकार की संवैधानिक व्यवस्था पर ।

क्या झारखंड इस देश की लोकतांत्रिक पद्धति व संवैधानिक व्यवस्था से अलग है? क्या झारखंड में मंत्रियों, विधायकों की बातों और घोषणाओं का कोई कीमत नहीं है? मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि जब देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका है और एनसीटीई गाइडलाइन के तहत् प्रत्येक वर्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा लेना अनिवार्य है तो किस परिस्थिति में 2016 के बाद आज तक टीईटी परीक्षा झारखंड में क्यों नहीं आयोजित की गई।

इसका दोषी कौन है पारा शिक्षक? गलती करेगी सरकार और बज्र गिरेगा पारा शिक्षक पर वाह! क्या है कानूनी प्रक्रिया और क्या है व्यवस्था का परिचायक।

अगर अब तक टीईटी परीक्षा आयोजित हुई होती तो मैं वादा करता हूं कि आज तक एक भी पारा शिक्षक बिना टीईटी पास नहीं होता। दुर्भाग्य है पारा शिक्षकों का जीवन और दुर्भाग्य है सरकार की संवैधानिक व्यवस्था और सरकार की बादशाहियत का अंदाज इससे तो बेहतर है बिहार सरकार की संवैधानिक व्यवस्था और सरकार की नियोजन प्रक्रिया जहां नियोजित शिक्षकों को वेतनमान के साथ साथ सौगातों पर सौगात की बौछारें दिए जा रहे हैं।

सरकार यदि झारखन्ड के मूलवासियों पर रहम करना चाहती है, उनकी किस्मत से अपनी किस्मत को और प्रभावशाली बनाना है तो 65000 पारा शिक्षकों के जीवन से खिलवाड़ न करे उनकी संवैधानिक अधिकार को मत कुचले ।

बिहार मॉडल पर निर्मित नियमावली में कोई विसंगति अवलोकित हो रही है तो अविलंब संशोधित करते हुए 08 नवम्बर की आयोजित होने वाली बैठक में अन्तिम रूप से निर्णय लेकर निर्वाध रुप से इस अध्यादेश को कैबिनेट से मंजूरी दिलाई जाय वरना 15 नवम्बर को पूरे राज्य के 65000 पारा शिक्षक एक बार फिर राजधानी रांची में स्थापना दिवस समारोह का प्रतिकार करने को रांची कुच करेगें। जिसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार के विधायकों और मंत्रियों की होगी।

अगर वेतनमान की सौगात मिली तो सरकार का जय जयकार होगा और अगर सरकार हमें इस बार भी धोखा देकर निराश लौटने को मजबूर करेगी तो 16नवम्बर से चक्रवाती तूफान की तरह आंदोलन का शंखनाद वही जयपाल सिंह स्टेडियम का हाल होगा। चाहे इस बार हमें क्यों नहीं अपने लहू से उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करनी पड़े क्यों नहीं 65000 पारा शिक्षकों के लहू से झारखंड की किस्मत को लिखना पड़े।

झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से सादर अभिवादन करते हुए वेतनमान लागू करवाने की अपील करता हूं हम सभी आपके संतान हैं और कोई भी माता पिता या फिर किसी देश या राज्य का शासक यह कभी नहीं चाहता कि मेरे संतान या मेरी प्रजा को किसी तरह की तकलीफ हो उन्हें किसी तरह की मुसीबत से गुजरना पड़े फिर क्यों महोदय आज तक हमें इंसाफ नहीं मिला क्यों 18 वर्षों से वनवास झेलवा रहे हैं।

अब महोदय 65000 पारा शिक्षकों को धैर्य की परीक्षा न लिया जाय, अब हम सभी का धैर्य शक्तियां जबाव दे रहा है महोदय। इसलिए हमारी जिंदगी नरक बनने से बचाई जाय हमें आंदोलन करने को बाध्य नहीं करें हमें शिक्षा के तहजीब को अमेरिका की तरह पुरी दुनिया में अव्वल नंबर का सपनों का भारत बनाने में सफल होने दिया जाय।
जय हिंदुस्तान जय मां भारती ।
आपका क्रान्तिकारी साथी।
सुखदेव हाजरा
जिला महासचिव गिरिडीह

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